Amazing Truth कौन खा गया अपने पिता का मस्तिष्क !

Amazing Truth आपने इतिहास तो पढ़ा ही होगा। भारतीय प्राचीन इतिहास की गर्भ में ऐसे किस्से और सत्य घटनाएं समाई हुई हैं जिनके बारे में अगर आप नहीं जानते और आज पता चलता है तो निश्चित ही आप चौंक जायेंगे। आज बात महाभारत काल और उनसे जुडी एक रोचक घटना की करते हैं। महाभारत धर्म व अधर्म की शिक्षा देता है और इसमें पारिवारिक कलह की वजह, आपसी प्रेम, नफरत, विश्वास, क्रोध और संवेदनाओं का संग्रह मिलेगा. इस ग्रंथ में कई ऐसी कहानियां छिपी हुई हैं जो आज भी आपको हैरान कर सकती हैं. एक कहानी के अनुसार महाभारत में एक ऐसे योद्धा भी हुए हैं जिन्होंने अपने ही पिता का मस्तिष्क खा लिया था और उसके बाद जो हुआ वह हैरान कर देगा.

इस पांडव ने खाया था अपने पिता का मस्तिष्क Amazing Truth

महाभारत की कहानी के अनुसार पांडवों में सबसे छोटे भाई सहदेव ने अपने ही पिता पांडु का मस्तिष्क खाया था. सहदेव में भविष्य को देखने की क्षमता भी थी इसलिए युद्ध शुरू करने से पहले दुर्योधन उसके पास सही मुहूर्त जानने के लिए भी गया था. हालांकि, सहदेव को पता था कि दुर्योधन ही हमारा सबसे बड़ा दुश्मन है और फिर उसने युद्ध आरंभ करने का सही मुहूर्त बताया.


सहदेव ने क्यों खाया था पिता का मस्तिष्क ?

राजा पांडु को ऋषि किंदम ने श्राप दिया था कि यदि वह किसी स्त्री से समागम करेंगे तो उसी दौरान उनकी मृत्यु हो जाएगी. यही वजह है कि पांडु ने कभी अपनी पत्नी कुंती और माद्री से संबंध नहीं बनाए. कुंती ने देवताओं के आह्वान से युधिष्ठिर, भीम और अर्जुन को प्राप्त किया. वहीं माद्री ने भी मंत्र विद्या से पुत्र नकुल व सहदेव का प्राप्त किया.


प्रचलित कहानी के अनुसार पांडु ने संयम का पालन किया लेकिन एक बार वह अपनी पत्नी माद्री को देखकर कामाशक्त हो गए. इस दौरान जैसे ही राजा पांडु ने पत्नी माद्री को गले लगाया उसी समय मृत्यु ने उन्हें अपने पाश में बांधा लिया. मृत्यु को करीब देखकर राजा पांडु ने अपने पांचों पुत्रों को बुलाया और कहा कि मेरा मस्तिष्क खा लो. पुत्र यह सुनकर हैरान हो गए और किसी ने इस बात को स्वीकार नहीं किया. लेकिन सबसे छोटे बेटे सहदेव ने पिता के कहने पर उनका मस्तिष्क खाना स्वीकार किया.जैसे ही सहदेव ने अपने पिता पांडु का मस्तिष्क खाया उन्हें भूत, भविष्य और वर्तमान का ज्ञान हो गया. क्योंकि राजा पांडु के पास ज्ञान का भंडार था और वह चाहते थे कि यह ज्ञान उनके पुत्रों को मिले. इसलिए उन्होंने अपना मस्तिष्क खाने के लिए कहा था.

 

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