Anokha Gurudwara : गुरुद्वारा नानकमत्ता जहां गुरु नानक ने हाथ से रोका था पेड़

Anokha Gurudwara देवभूमि देवों की भूमि है , हिन्दू मुस्लिम और सिख धर्म के प्रसिद्ध पौराणिक तीर्थ स्थल यहाँ मौजूद है। ऐसा ही एक पवित्र तीर्थ है उधम सिंह नगर में नानकमत्ता गुरुद्वारा , यहां एक अद्भुत पीपल का पेड़ है, चमत्कार भी ऐसा कि ये पीपल का पेड़ लोगों की मनोकामना की पूर्ति करता है, जिसमें अपनी मनोकामना लेकर श्रद्धालु दूर दराज से यहां आते हैं। 500 साल पुराने इस पीपल के पेड़ की लोग पूजा अर्चना कर पेड़ में धागा बांध कर अपनी मनोकामना जाहिर करते हैं, जिससे लोगों की इच्छा पूरी हो जाती है।

 

गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब की मान्यता Anokha Gurudwara

Anokha Gurudwara

ऊधम सिंह नगर में गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब देश-विदेश के लाखों श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। यह गुरुद्वारा सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी की तपोस्थली है, इसलिए यहां हर साल देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु माथा टेकने पहुंचते हैं। वहीं, सिख धर्म के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी महाराज द्वारा पीपल के जिस सूखे पेड़ को अपनी शक्ति से हरा भरा किया था, वह पीपल का पेड़ आज पीपल साहिब के नाम से जाना जाता है। वो पेड़ आज भी गुरुद्वारा परिसर में मौजूद है। यहां हर वर्ष दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मुम्बई, हरियाणा, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया सहित अन्य देशों से लाखों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।


हमेशा जलता रहता है दीपक

गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब की प्रमुख नगरों से दूरी अगर आप गुरुद्वारा नानकमत्ता साहिब के दर्शन करने जाना चाहते हैं तो रुद्रपुर से 54 किमी की दूरी, किच्छा से 40 किमी की दूरी, पंतनगर से 46 किमी की दूरी, हल्द्वानी से 61 किमी की दूरी, बरेली से 97 किमी की दूरी और पीलीभीत से 46 किमी की दूरी आपको तय करनी पड़ेगी। श्रद्धालु बताते हैं कि सिख धर्म के प्रथम गुरु नानक देव जी महाराज जब यहां पहुंचे थे तो यहां पीपल का एक सूखा पेड़ था। गुरु नानक देव जी ने पीपल के पेड़ को हरा-भरा कर दिया। पीपल साहिब के नीचे 24 घंटे जोत जलती रहती है, जिसके दर्शन मात्र से मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

दूध का कुआं

श्रद्धालु हरप्रीत सिंह ने बताया कि गुरुद्वारा साहिब के अन्दर एक दूध वाला कुआं है, जहां मतदाना साहिब जी महाराज को भूख लगी तो सिद्ध योगियों ने दूध देने से मना कर दिया। तब गुरु नानक देव जी महाराज ने एक पूरे कुएं को अपनी शक्ति से दूध से भर दिया था। उन्होंने कहा कि तब से इस कुएं को दूध का कुआं कहा जाता था। दूध वाले कुएं के नाम से यह प्रसिद्ध हो गया।

पीपल के पास में सरोवर भी है

श्री नानकमत्ता गुरु द्वारा के कथा वाचक गुरु सेवक सिंह ने बताया कि यहां गुरु नानक देव जी ने इस भूमि को सिद्ध योगियों से मुक्त कराया था, जहां ये सिद्ध योगी लोगों को अपनी योग शक्तियों से भयभीत करते थे, जिससे जब गुरु नानक देव जी यहां आए, तब उन्होंने इन्हें समझाया, लेकिन वह नहीं माने और अपनी योग शक्ति से पीपल के पेड़ को जमीन से 6 से 7 फीट ऊंचा उठा कर सुखा दिया, जिससे गुरु नानक देव जी ने इसे अपने हाथ के पंजे से रोक कर हराभरा कर दिया। तब से अब तक ये पीपल ऐसा ही हरा भरा है और लोग अपनी मनोकामना मांगते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती हैं।

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