Anokha Mandir चप्पल और सैंडल से ख्वाहिश होगी पूरी  

Anokha Mandir वैसे तो हम भगवान के आस-पास चप्पल और जूतों को फटकने तक नहीं देते है| फिर चाहे घर का मंदिर हो या बाहर बना मंदिर हो, अगर मंदिर के अंदर जाना हो तो बाहर चप्पल और जूतों को उतारकर ही जाते है| लेकिन हम आज आपको एक ऐसे मंदिर जीजाबाई के बारे में बताने जा रहे है जहाँ माँ दुर्गा को नयी चप्पल या सैंडिल चढ़ाई जाती है|

मन्नत पूरी होने पर चढ़ती है चप्पल और सैंडिल Anokha Mandir



भोपाल के कोलार इलाके में मां पहाड़ा देवी का मंदिर है. जैसा कि नाम से ज़ाहिर है कि ये मंदिर पहाड़ी पर बना है. यहां दुर्गा देवी बाल रूप में विराजित हैं. इस मंदिर में लोग देवी को बेटी स्वरूप में पूजते हैं. मंदिर करीब तीन एकड़ में फैला है. यहां आने वाले भक्त चढ़ावे के तौर पर चप्पल लेकर पहुंचते हैं और देवी के चरणों में अर्पित करते हैं. भक्त मन्नत पूरी होने पर भी चप्पल ही यहां चढ़ाते हैं.


देवी क्योंकि यहां बाल स्वरूप में हैं इसलिए लोग फ्रॉक,चश्मे, सैंडिल्स के साथ वो सारी चीजें चढ़ाते हैं जो बच्चों को पसंद हैं.बाल रूप में मां के नखरे भी बच्चों की तरह ही हैं. उनका श्रृंगार भी बच्चों की तरह ही किया जाता है. हर रंग की फ्रॉक चढ़ाई जाती हैं और फ्रॉक के साथ मैचिंग हेयर बैंड,कलरफुल चश्मा भी मां को अर्पित किया जाता है. उसके बाद ड्रेस से मैचिंग करते हुए सैंडल पहनाएं जाते हैं.

 विदेश से आती हैं माँ के लिए फ्रॉक
मां पहाड़ा वाली के भक्त विदेशों में भी हैं. नवरात्रि पर वो वहां से फ्रॉक,हैयरबैंड,चश्मे औऱ सैंडल्स भेजते हैं.दुंबई से लेकर मुंबई तक से फ्लाइट से मां के लिए चढ़ावा आता है. पहाड़ा वाली देवी मंदिर को जीजी बाई का मंदिर भी कहा जाता है.कहते हैं श्रृंगार करने के बाद मां के चेहरे से अपने आप पता चल जाता है कि मां खुश हैं या नहीं.अगर ड्रेस,फ्रॉक,घड़ी,हैयरबैंड,सैंडिल्स पहनकर मां के चेहरे पर खुशी दिखाई नहीं देती है तो नए सिरे से उनका दोबारा श्रृंगार किया जाता है.दिन में तीन से चार बार भी मां की खुशी के हिसाब से ही श्रृंगार किया जाता है.