Anokha School उत्तराखंड के नैनीताल जिले के घुग्घूखाम में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय में बीते कुछ साल में छात्रों की संख्या कम हुई है. यह संख्या कम होते-होते सिर्फ एक छात्र तक पहुंच गई है. इस स्कूल में सिर्फ एक छात्र है, जिसकी पढ़ाई का जिम्मा दो शिक्षकों पर है. आमतौर पर सरकारी स्कूलों में टीचरों की कमी के कारण पढ़ाई प्रभावित होने की बात सामने आती है, पर नैनीताल जिले में स्थित एक प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर कुछ अलग है.
यहां एक छात्र को पढ़ाने के लिए दो शिक्षक तैनात हैं.Anokha School

भले ही प्रदेश सरकार शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाकर सरकारी स्कूलों की स्थिति को बेहतर करने के दावे कर रही हो मगर धरातल पर कुछ और ही हकीकत है। क्योंकि नैनीताल के घुग्घुखान के प्राथमिक विद्यालय में मात्र एक छात्र रह गया है। उसको पढ़ाने के लिए दो शिक्षिकाओं को नियुक्त किया है। इस प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने केवल एक 5वीं का छात्र निर्मल आता है। अगले माह से वह भी छठी कक्षा में चला जाएगा। ऐसे में अगर यहां बच्चों ने प्रवेश नहीं लिया तो अगले माह से इस स्कूल में संख्या शून्य हो जाएगी।

बता दें कि नैनीताल जिले राजकीय प्राथमिक विद्यालय घुग्घूखाम में बीते सालों में विद्यार्थियों की संख्या कम हुई है। यह संख्या सत्र 2019 -20 में -15 थी। वहीं 2020-21 में यह संख्या बच्चों की 14 रह गयी। 22-23 में यह संख्या घटकर 4 रह गई। 2024 में यह संख्या घटकर केवल 1 रह गई। 31 मार्च 2024 को पांचवीं में पढ़ने वाला निर्मल आर्या भी दूसरे स्कूल में चला जाएगा।

जिला मुख्यालय से लगभग 19 किलोमीटर दूर घुग्घूखाम ग्राम सभा में 500 से अधिक की आबादी है. इस ग्राम सभा के बच्चों के लिए सबसे पास यही प्राइमरी स्कूल है, लेकिन सवाल यह उठता है कि पूरी ग्राम सभा में सिर्फ एक प्राथमिक विद्यालय होने के बावजूद भी बच्चों की संख्या इतनी कम क्यों है.प्राइमरी स्कूल की प्रिंसिपल शबाना सिद्दीकी बताती हैं कि अभिभावक खुद अपने बच्चों का नाम कटवा कर शहर में स्थित प्राइवेट स्कूलों में भेज रहे हैं. उन्होंने बताया कि इस तरह धीरे-धीरे हमारे स्कूल में बच्चों की संख्या कम होती गई और आज पूरे स्कूल में सिर्फ एक बच्चा है, जिसकी पढ़ाई का जिम्मा दो टीचरों पर है.
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