Anokha Village मर्द, औरत और बच्चे यहां सभी हैं बौने !

Anokha Village गया जी जिला मुख्यालय से करीब 65 किलोमीटर दूर जंगल और पहाड़ों से घिरा हुआ एक ऐसा गांव जहां के लोगों को आज फरिश्तों का इंतजार है. लोगों को उम्मीद की किरण नजर नहीं आ रही कि उनकी जिंदगी को सामान्य कैसे बनाया जा सकें. जिले के बांके बाजार प्रखंड मुख्यालय से करीब 9 किलोमीटर दूर तिलैया पंचायत के उतर में हड़ही नदी के किनारे बसा भोक्तौरी नामक दलितों का एक ऐसा गांव मिलता है, जहां के लोग दिव्यांगता का शिकार हो रहे हैं.

जन्म के 4-5 साल बाद ही हो जाते हैं प्रभावित Anokha Village

 

गांव के लोग किसी अजनबी चेहरे को देख आश्चर्यचकित हो उठते हैं. सभी महसूस करने लगते हैं कि कोई तारणहार तो न आया. यहां के आधे से अधिक बच्चों की आबादी अंग विकृति से प्रभावित है. कहा जाए तो बौनापन का शिकार हो रहे हैं. उनका बालपन दिव्यांग हो गया है. जानकार बताते हैं कि फ्लोराइड युक्त पानी पीने की वजह से लोगों का पैर टेढ़ा और कुबड़ा हो रहा है. जन्म के 4 से 5 साल के बाद लोग बौनापन का शिकार हो रहे हैं. भोक्तौरी में बीमारी से त्रस्त ग्रामीणों का कहना है कि इनके बच्चे चार साल के उम्र पार करते ही प्रायः कुबड़ा टेढ़ा हो जाते हैं. यहां पीने का पानी है श्राप बन चुका है.


सीधा नहीं ऐसे चलते हैं बच्चे
बच्चों के पैरों की हड्डियों में ऐसी विकृति होती है, जैसे कई स्थानों पर हड्डी को तोड़ा और जोड़ा गया हो या ऐंठा गया हो. ये बच्चे लंगड़ाकर चलते हैं. हिलकर चलते हैं या फिर डंटे के सहारे चलते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि 90 के दशक में यहां के लोग गांव के पास से गुजरने वाली हड़ही नदी का पानी पीते थे तो उनके पैरों की हालत ठीक थी. किंतु जब से गांव में चापाकल लगाया गया और उसके पानी लोग पीना शुरू किए तब से यह बीमारी लोगों को देखने को मिली. इस गांव में करीब तीन-चार पुस्त के लोग बसे चले आ रहे हैं.


हालांकि पिछले कुछ वर्षों से यहां पर इसमें कमी आई है. अब नए जन्म लेने वाले बच्चे इससे प्रभावित नहीं हो रहे हैं. गांव के लोगों ने बताया कि बीच-बीच में हम लोग बांकेबाजार अस्पताल जाते हैं और दवाई मिलती है तो उससे थोड़ी राहत मिलती है. लेकिन गांव में फ्लोराइड पानी की समस्या से निजात के लिए कोई काम नहीं किया गया है. 25 घर वाले इस गांव में 30 से अधिक लोग बौनापन और अंग विकृति से प्रभावित हैं. सभी का पैर टेढ़ा और कुबड़ा हो गया है. इसमें सभी की स्थिति बिल्कुल एक जैसी है. इनके अलावा कई और अन्य बच्चे भी दिव्यांगता के शिकार हैं.