Chandi Mata Mandir चंडीगढ को क्यों कहते हैं चंडीगढ़ ?

 Chandi Mata Mandir  पंचकूला में एक ऐसा ऐतिहासिक मंदिर है, जिसके नाम पर चंडीगढ़ शहर का नाम पड़ा. हम बात कर रहे हैं प्राचीन चंडी माता मंदिर की. इस मंदिर का इतिहास लगभग 5000 साल से भी ज़्यादा पुराना बताया जाता है. मंदिर निर्माण के पीछे भी एक रोचक कहानी है. कहा जाता है कि 5000 साल पहले मंदिर वाली जगह पर एक साधु ने कई सालों तक तप किया था, जिसके बाद उन्हें मां दुर्गा की मूर्ति मिली और तभी इस मंदिर का निर्माण कराया गया था.पौराणिक कथाओं के अनुसार चंडी मंदिर अलौकिक स्थान है, इसी कारण यह लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है। एक कथा के अनुसार यहीं पर मां चंडी ने राक्षस महिषासुर को परास्त किया था, जिससे यह पवित्र भूमि पीढ़ियों तक पूजा का स्थान बनी रही। यह भी माना जाता है कि महाकाव्य महाभारत के पांडव अर्जुन ने अपने 12 साल के वनवास के दौरान इसी स्थान पर मां चंडी की तपस्या की थी और माँ का आशीर्वाद प्राप्त किया था।

Chandi Mata Mandir Panchkula
Chandi Mata Mandir Panchkula

मंदिर के पुजारी राजेश जी बताते हैं कि मंदिर का इतिहास महाभारत काल से भी जुड़ा हुआ है. कहा जाता है कि पांडवों ने अपने 12 साल के वनवास के दौरान यहां ठहराव किया था और अर्जुन ने चंडी माता की तपस्या की थी. तपस्या से खुश होकर माता चंडी ने अर्जुन को तेजस्वी तलवार और जीत का वरदान दिया था, जिसके बाद पांडवों ने महाभारत के युद्ध में विजय हासिल की थी .

ऐसे पड़ा चंडीगढ़ का नाम

Chandi Mata Mandir Panchkula
Chandi Mata Mandir Panchkula

वहीं, भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और पंजाब के पूर्व गवर्नर चंदेश्वर प्रसाद नारायण सिंह मंदिर में दर्शन के लिए आए थे. मंदिर को देखकर काफी प्रभावित हुए थे, जिसके बाद उन्होंने घोषणा की थी कि अब चंडी माता के नाम पर चंडीगढ़ शहर बसाया जाएगा. दरअसल, चंडी माता मंदिर से कुछ दूरी पर ही एक किला था, जिसका नाम “गढ़” था और इन दोनों शब्दों को मिलाकर ही चंडीगढ़ का नाम रखा गया था.

गुप्त नवरात्रि में लगती है भीड़

Chandi Mata Mandir Panchkula
Chandi Mata Mandir Panchkula

मान्यता है कि यहां पर जो भी सच्चे दिल से चंडी माता मंदिर में माथा टेकता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. वहीं मंगलवार (19 जून 2023 ) से गुप्त नवरात्रि प्रारंभ हो चुके हैं. ऐसे में श्रद्धालुओं का भीड़ भी मंदिर में माथा टेकने के लिए पहुंच रही है.

चंडी मंदिर तक कैसे पहुंचें?

चंडी मंदिर चंडीगढ़ छावनी क्षेत्र के पास स्थित है और कहा जाता है कि यह इस क्षेत्र का सबसे पहला गांव है। चंडी मंदिर रेलवे स्टेशन नजदीक होने से मंदिर तक पहुंचना सुविधाजनक है। यदि चंडीगढ़ या जीरकपुर की ओर से खुदकी गाड़ी से आ रहे हैं, तो चंडी मंदिर टोल प्लाजा पर नज़र रखें। टोल गेट पार करने के बाद, लगभग 200 मीटर तक आगे बढ़ने पर आपको बाईं ओर मंदिर का द्वार मिलेगा।

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