Char Dham Yatra राज्य आपदा प्रबंधन सलाहकार समिति के उपाध्यक्ष विनय कुमार रुहेला ने उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण स्थित राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र में सभी जनपदों के साथ ऑनलाइन बैठक कर आगामी चारधाम यात्रा तथा मानसून की तैयारियों की समीक्षा कर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने कहा कि आने वाले कुछ दिनों में चारधाम यात्रा प्रारंभ होने वाली है और दो महीने बाद मानसून सीजन प्रारंभ हो जाएगा। आने वाले पांच माह काफी चुनौतीपूर्ण रहेंगे, इसलिए यह आवश्यक है कि हर स्तर पर पुख्ता तैयारियां हों ताकि चारधाम यात्रा के दौरान देश-विदेश से आने वाले यात्रियों को किसी प्रकार की परेशानी न हो और मानसून अवधि में राज्य के निवासी किसी परेशानी का सामना न करें।
चारधाम यात्रा तथा मानसून की तैयारियों की समीक्षा Char Dham Yatra
विनय कुमार रुहेला ने कहा कि राज्य में एक तरफ चारधाम यात्रा प्रारंभ हो रही है, वहीं पर्यटन सीजन भी प्रारंभ हो गया है। ऐसे में विभिन्न प्रकार की आपदाओं के दौरान यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित किया जाना जरूरी है। उन्होंने निर्देश दिए कि सभी जनपद यात्रियों की छोटी से छोटी सुविधाओं का ध्यान रखें ताकि उन्हें किसी प्रकार की परेशानी न हो और वे एक अच्छा संदेश लेकर अपने घर को लौटें। उन्होंने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए भूस्खलन संभावित क्षेत्रों को चिन्हित किया जाए और वहां पर साइनेज लगाकर यात्रियों को अलर्ट किया जाए। साथ ही उन स्थानों पर चौबीस घंटे जेसीबी तथा अन्य आवश्यक उपकरणों की तैनाती की जाए। उन्होंने कहा कि सड़कों को गड्ढामुक्त रखने की कार्यवाही अभी से प्रारंभ कर दी जाए ताकि बरसात के दौरान इनमें जलभराव के चलते हादसे न हों।
आपदा प्रबंधन विभाग हर स्तर पर एलर्ट मोड में
इस अवसर पर सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विनोद कुमार सुमन ने कहा कि सभी जनपद एनडीएमआईएस पोर्टल में जल्द से जल्द सभी सूचनाओं को अपलोड करना सुनिश्चित करें ताकि केंद्र सरकार से पैसा मिलने में किसी प्रकार की अड़चन न आए। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के दिशा-निर्देशन एवं मार्गदर्शन पर आपदा प्रबंधन विभाग हर स्तर पर एलर्ट मोड में है और लगातार विभिन्न विभागों के साथ बैठकें की जा रही हैं। उन्होंने कहा कि चारधाम यात्रा के दौरान सड़क हादसों को रोकने के लिए यह सुनिश्चित किया जाए कि प्रशासन द्वारा निर्धारित समय पर ही वाहनों का आवागमन हो। बरसात की चुनौतियों तथा जलभराव से प्रभावी तरीके से निपटने के लिए अप्रैल और मई के महीने सबसे उपयुक्त हैं, इसलिए सभी आवश्यक तैयारियां प्रारंभ कर ली जाएं।