Churdhar Yatra विश्व भर में हिमाचल प्रदेश की पहचान देवभूमि के रूप में है. यहां बने मंदिर हिमाचल की धरती को पावन और पवित्र बनाते हैं. हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर (Sirmaur) में 11 हजार 965 फीट की ऊंचाई पर भगवान शिव का मंदिर है. यहां भगवान शिव शिरगुल महाराज के रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं. शिरगुल महादेव को चौपाल और सिरमौर का देवता भी माना जाता है. कहते हैं कि यहां सच्चे मन से पहुंचने वाले भगवान शिव के भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है , जिला शिमला और सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी पर विराजमान देवता शिरगुल महाराज में हिमाचल के साथ पड़ोसी राज्य उत्तराखंड के जौनसार बाबर के भी लाखों लोगों की आस्था है.
11 हजार 965 फीट की ऊंचाई पर विराजमान शिरगुल महादेव Churdhar Yatra
करीब 11 हजार 965 फीट की ऊंचाई पर स्थित जिला सिरमौर की सबसे ऊंची चोटी चूड़धार की यात्रा पर शिमला और सिरमौर प्रशासन ने रोक लगा दी है. जिला शिमला के चौपाल और सिरमौर जिला के संगड़ाह उपमंडल के एसडीएम ने इस संबंध में आदेश जारी किए हैं.अब करीब 5 माह बाद ही चूड़धार मंदिर के कपाट खुलेंगे और शिरगुल महाराज के दर्शन होंगे.
खराब मौसम व बर्फबारी के चलते चूड़धार मंदिर 1 दिसंबर 2024 से दर्शनों के लिए बंद किया जा चुका है.सर्दी के मौसम में लगातार बर्फबारी और ठंड के कारण मंदिर मार्ग जोखिम और खतरे से भरा रहने की संभावनाओं के चलते हर साल की तरह मंदिर के कपाट आगामी अप्रैल माह तक बंद कर दिए गए हैं. एसडीएम चौपाल ने श्रद्धालुओं से आग्रह किया कि मंदिर के कपाट खुलने तक चूड़धार की यात्रा पर ना जाएं. आदेश की अवहेलना करने वाले के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी.
कथाओं के मुताबिक, भगवान शिव का एक अनन्य भक्त चूरु हुआ. एक बार चूरु अपने बेटे के साथ इस पहाड़ी से होकर गुजर रहा था, तभी अचानक रास्ते में एक बड़ा सांप आ गया. चूरु अपने बेटे की जान बचाने के लिए बेहद चिंतित हो उठा. सांप चूरु और उसके बेटे को अपना शिकार बनाने के लिए पीछा करने लगा. इसके बाद भक्त चूरु ने भगवान शिव की आराधना की. भगवान शिव का स्मरण करते ही एक विशालकाय चट्टान सांप पर आ गिरा. इससे भक्त चूरु और उसका बेटा सांप का शिकार होने से बच गए. इसके बाद भक्त चूरु ने इस पहाड़ी पर भगवान शिव के मंदिर की स्थापना की.