देहरादून से अनीता आशीष तिवारी –
congress on silkyara देश दुनिया को हिला देने वाले रेस्क्यू ओपरेशन यानी सिलक्यांरा सुरंग के अंदर फंसे 41 श्रमिकों की ज़िंदगी बचाने में भले ही कामयाबी मिल गयी है लेकिन कौन है इस घटना के असली गुनहगार ? आखिर किसकी लापरवाही से पीएमओ और उत्तराखंड सरकार के माथे पर पसीना ला दिया ? अब इस मामले में कांग्रेस ने बड़े कदम उठाने के संकेत दिए हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य और उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने एक बार फिर सिलक्यारा टनल के मामले में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय व उत्तराखंड सरकार को घेरते हुए कहा कि नवयुग कम्पनी को बचाने के लिए केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय व राज्य की भाजपा सरकार लगातार षड्यंत्र रच रही है और सिलक्यारा हादसे की सबसे बड़े कारण और लापरवाही को प्रपंच रच कर असल मुद्दे से लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है।
बिना इंजीनियर्स सुपरवाइजर 41 श्रमिक कैसे कर रहे थे काम – धस्माना congress on silkyara

सूर्यकान्त धस्माना ने कहा कि सिलक्यारा रैस्क्यू आपरेशन के नायकों रैट होल माइनर्स को सम्मान करने की याद राज्य सरकार को आज आई वो भी जिस प्रकार की फजीहत का कारण बन गया जब एक बार तो रैट होल माइनर्स ने पचास हज़ार रुपये के चैक जो उनको दिए गए थे यह कहते हुए लौटा दिए कि उनको पैसा नहीं बल्कि सरकारी नौकरी चाहिए। धस्माना ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि अभी तक केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय व राज्य सरकार इस बात का जवाब नहीं दे पाए कि छोटी दिवाली की छुट्टी के दिन बिना किसी विशेषज्ञ बिना इंजीनियर बिना सुपरवाईजर 41 मजदूर किस के निर्देश पर टनल में काम कर रहे थे और यह भी आज तक निर्माण एजेंसी नहीं बता पाई हैं कि साढ़े चार किलोमीटर लंबी सुरंग बिना किसी आपातकालीन निकासी व स्वीकृत एस्केप पैसेज के कैसे सुरंग बनाई जा रही थी।
रैट होल माइनर्स के सम्मान के बहाने नवयुग कम्पनी को बचाने का प्रयास- कांग्रेस
सूर्यकान्त धस्माना ने कहा कि क्योंकि नवयुग कम्पनी की पहुंच सरकार के बड़े लोगों तक है इसलिए कम्पनी के विरुद्ध आज तक कोई कार्यवाही नहीं की गई और अपनी सबसे बड़ी लापरवाही व असफलता को बड़ी कामयाबी साबित करने के लिए सरकार अपनी ही पीठ थपथपा रही है। धस्माना ने कहा कि अगर सरकार सिलक्यारा टनल हादसे पर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही नहीं करेगी तो वे इस मामले को उच्च न्यायालय पीआईएल के माध्यम से ले जाएंगे। अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में सिलक्यांरा की सुरंग से कौन कौन से सियासी रास्ते निकलेंगे।
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