Crime News आपको ये खबर पहले तो हैरान कर देगी फिर सोचने को मजबूर करेगी कि क्या सिर्फ नवजात के रंग की वजह से कोई पिता माँ को मार भी सकता है। लेकिन ऐसा हुआ है बिहार में जहाँ एक युवक ने अपनी पत्नी की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी क्योंकि हाल ही में दोनों से जो बच्चा पैदा हुआ, उसका रंग गोरा है. जबकि पति का रंग सांवला. बस इसी वजह से पति शक करने लगा और बच्चे के पैदा होने के तीन महीने बाद ससुराल जाकर पत्नी को मार डाला और फरार हो गया. इस तरह की बातें सिर्फ बिहार ही नहीं, देश के अलग-अलग हिस्सों में पहले भी सुनी जाती रही है.
पति पत्नी, काले तो बच्चा गोरा कैसे हो गया ? Crime News
लोगों के मन में सवाल होता है कि पति पत्नी, काले तो बच्चा गोरा कैसे हो गया ? या क्या गोरे मां बाप का बच्चा सांवला कैसे पैदा हुआ? ऐसी सोच सिर्फ़ जानकारी की कमी और अफवाहों की देन है. असलियत यह है कि रंग का मामला पूरा का पूरा जेनेटिक (आनुवंशिक) और वैज्ञानिक है, न कि कुछ और. आइए, सरल शब्दों में समझते हैं कि काले गोरे बच्चे पैदा होने के पीछे का पूरा विज्ञान क्या है? यह कैसे काम करता है?

त्वचा का रंग तय कैसे होता है?
हमारे शरीर में एक पिगमेंट यानी रंग देने वाला पदार्थ मेलानिन (Melanin) पाया जाता है. ज्यादा मेलानिन होगा तो त्वचा सांवली या काली होगी और कम है तो त्वचा हल्की गोरी या गोरी हो सकती है. मेलानिन कितना बनेगा, यह तय करते हैं हमारे जीन (Genes). जीन को आप शरीर का ब्लूप्रिंट समझिए, जैसे घर बनाने की नक्शा. हर इंसान के शरीर में रंग से जुड़े कई जीन होते हैं. ये जीन हमें माता पिता से मिलकर मिलते हैं. आधा जीन मां से और आधा पिता से.इन जीनों के अलग अलग संयोजन (कॉम्बिनेशन) से बच्चा ज्यादा गोरा, ज्यादा सांवला या बीच बीच का हो सकता है. यानी, रंग एक अकेले जीन से तय नहीं होता, बल्कि कई जीन मिलकर तय करते हैं, इसलिए गर्भ में पल रहे बच्चे का रंग पहले से पक्के रूप में नहीं बताया जा सकता.
क्या काले या सांवले पति-पत्नी से गोरा बच्चा हो सकता है?
इस सवाल का सीधा-सपाट जवाब है-हां, बिल्कुल हो सकता है. और यह पूरी तरह वैज्ञानिक रूप से सिद्ध और संभव है. छिपे हुए जीन (Recessive genes) की इसमें महत्वपूर्ण भूमिका है. मान लीजिए पति पत्नी दोनों देखने में सांवले हैं, लेकिन उनके अंदर (जीन में) हल्की त्वचा वाले जीन भी मौजूद हैं, जो बाहर से नज़र नहीं आ रहे. जब गर्भ में बच्चा बनता है, तो कई बार ऐसा संयोजन बन जाता है कि हल्के रंग वाले जीन मिलकर बच्चे की त्वचा को पैरेंट्स से ज्यादा गोरा बना देते हैं. इसमें पूर्वजों (आनुवंशिक विरासत) का असर भी होता है.

क्या गोरे मां-बाप से सांवला या काला बच्चा हो सकता है?
हां, यह भी पूरी तरह संभव है. अगर गोरे माता पिता के परिवार में (किसी पीढ़ी में) सांवले/काले लोग रहे हों, तो उनके जीन आगे चलते रहते हैं. कभी कभी वही जीन मिलकर आगे की पीढ़ी में एक बच्चे की त्वचा को गहरा बना सकते हैं. इसके अलावा, सूर्य की किरणें (धूप), जलवायु, खान पान आदि से भी धीरे धीरे रंग पर थोड़ा असर पड़ता है. तो पैरेंट्स का यह मान लेना कि हम दोनों गोरे हैं, हमारा बच्चा कैसे सांवला हो गया, ज़रूर कोई गड़बड़ है, वैज्ञानिक रूप से बिल्कुल गलत सोच है.

आम आदमी के लिए समझना जरूरी
काला पति पत्नी से गोरा बच्चा पैदा हुआ तो शक करने की ज़रूरत नहीं है. यह पूरी तरह से वैज्ञानिक है. हो सकता है बच्चा किसी गोरे दादा नाना पर चला गया हो, या दोनों में छिपे हल्के रंग वाले जीन मिल गए हों. इसके विपरीत गोरा पति पत्नी हैं और सांवला बच्चा पैदा हुआ तो भी सामान्य बात है. पुरखों के जीन आगे आ सकते हैं. केवल रंग के आधार पर किसी के चरित्र पर उंगली उठाना गलत है. ऐसा करना न सिर्फ़ विज्ञान के खिलाफ है, बल्कि एक बड़े सामाजिक अन्याय जैसा है. इससे औरत की इज़्ज़त, मानसिक सेहत और पूरे परिवार, यहाँ तक की समाज पर भी बुरा असर पड़ता है. जरूरत हो तो विज्ञान की मदद लीजिए.

