देहरादून से अनीता आशीष तिवारी की रिपोर्ट –
Dhami Punjabi Mahasabha मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पंजाबी सभा द्वारा आयोजित विभाजन विभीषिका सम्मान समारोह में विभाजन की विभीषिका का दर्द सहने वाले तमाम सेनानियों के परिजनों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। उन्होंने विभाजन के दौरान अपनी जान गंवाने वालों को भी श्रद्धांजलि अर्पित की। मुख्यमंत्री ने विभाजन विभीषिका के दौरान दिवंगत लोगों की स्मृति में स्मृति स्थल के निर्माण की भी घोषणा की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने वयोवृद्ध विद्या वंती, सरदार मनोहर सिंह नागपाल, नानक चंद नारंग, भवानी दास अरोड़ा आदि को सम्मानित किया।
देवभूमि में हर वर्ग का सम्मान और सुरक्षा Dhami Punjabi Mahasabha

मुख्यमंत्री ने कहा कि लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को एक ओर जहां देश आजादी का जश्न मना रहा था, वहीं दूसरी ओर देश के विभाजन का भी हमने दर्द सहा। देश का विभाजन भारत के लिए किसी विभीषिका से कम नहीं था। इस दंश के दर्द की टीस आज भी है, जो इसे झेलने वाले लोगों की आंखों को नम कर देती है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत का विभाजन केवल एक भूभाग का विभाजन नहीं था, पीढ़ियों से साथ रह रहे लोगों के बीच नफरत और सांप्रदायिकता की लकीर खींच दी गई थी। लगभग पूरा भारत छिन्न-भिन्न हो गया था। सालों से साथ रहने वाले लोग, एक दूसरे के खून के प्यासे हो गए थे, हर जगह क्रूरता नजर आ रही थी, जीवन मूल्यहीन हो गया था। मानव विस्थापन का इससे भयानक और विकराल रूप पहले कभी नहीं देखा गया। भारत के बंटवारे ने सामाजिक एकता, सामाजिक सद्भाव और मानवीय संवेदनाओं को तार-तार कर दिया था।
विभाजन के दौरान वैमनस्य और दुर्भावना का दृढ़तापूर्वक सामना करने वाले, प्रत्येक व्यक्ति के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उस हिंसक उन्माद के दौर के इस परिसर में बैठे हमारे वरिष्ठों और उनके अनेकों साथियों ने, समाज के प्रति अपने कर्तव्य, राष्ट्र के प्रति अपनी कृतज्ञता, और मातृभूमि के प्रति अपने समर्पण को जीवंत रखा। इस बंटवारे ने जो जटिलताएं और विषमताएं, आजाद भारत के सामने ला कर खड़ी कीं, देश आज भी उनका सामना कर रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद विभाजन विभीषिका झेल चुके लोगों ने विभाजन से मिले दर्द को भुलाकर देश के विकास में अपना अमूल्य योगदान दिया। विभाजन विभीषिका की पीड़ा सह चुके लोगों ने इस क्षेत्र के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत से पलायन करके आए हुए आप जैसे हमारे पंजाबी भाइयों ने दिखा दिया कि मेहनत और दृढ़ इच्छाशक्ति के बल पर इंसान क्या नहीं कर सकता।
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