indian rivers भारत में सभी नदियों को स्त्री का दर्जा दिया जाता है. गंगा, यमुना, सरस्वती, गोदावरी और नर्मदा सहित सभी नदियों को लोग मां मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं. दो नदी ऐसी भी हैं जिन्हें पुरुष का दर्जा दिया गया है. इनमें एक ब्रह्मपुत्र और दूसरी सोन नदी है. इनका वर्णन वेदों में भी है. इन नदियों को स्त्रीलिंग न मानकर इन्हें पुल्लिंग का दर्जा दिया गया है.
भारत के हर राज्य में हैं अनगिनत नदियाँ indian rivers

आमतौर पर इस नदी में पानी कम ही रहता है और यह शांत रहती है, लेकिन बरसात में इसका रूप विकराल हो जाता है. सोन नदी का विंध्य पर्वत की सबसे ऊंची श्रृंखला से उद्गम हुआ है. अमरकंटक से निकल कर सोन बहती है. सोन नदी का जिक्र आग्नेय पुराण के अलावा गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरितमानस में भी किया है. सोन को भी ब्रह्मा जी के पुत्र के रूप में जाना जाता है. सोन का विवाह नर्मदा से होना था.

इसका नाम सोन नदी इसलिए पड़ा क्योंकि इसका बालू (रेत) पीले रंग के है जो सोने कि तरह चमकता है. इस नदी का रेत भवन निर्माण आदि के लिए उपयोगी है. यह रेत पूरे बिहार, शहडोल और रीवा में भवन निर्माण के लिए उपयोग में लाया जाता है. इसके नाम की एक कहानी यह भी है कि इसका पुराना नाम सोहन था जो बिगड़कर सोन बन गया. सोन नदी का उल्लेख रामायण आदि पुराणों में आता है.
यह नदी मध्यप्रदेश के अमरकंटक नामक पहाड़ से निकलकर 350 मील का चक्कर काटती हुई पटना से पश्चिम गंगा में मिलती है. इस नदी का पानी मीठा, निर्मल और स्वास्थ्यवर्धक होता है. अनेक फारसी, उर्दू और हिंदी कवियों ने इस नदी और नदी के जल का वर्णन किया है. इस नदी में डिहरी-आन-सोन पर बांध बांधकर 296 मील लंबी नहर निकाली गई है जिसके जल से शाहाबाद, गया और पटना जिलों के लगभग सात लाख एकड़ भूमि की सिंचाई होती है.