
Jhak Marna क्या आप जानते हैं कि झक मारना मुहावरे में झक का क्या मतलब होता है। अगर आप भी नहीं जानते हैं कि झक मारना में झक का क्या मतलब होता है तो यहां जान लीजिए। ये मुहावरे हमारी बातचीत को रंगीन और जीवंत बनाते हैं. ऐसा ही एक लोकप्रिय मुहावरा है ‘झक मारना’, जिसे हम अक्सर रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इस्तेमाल करते हैं. जब कोई बेकार का काम करता है या समय बर्बाद करता है, तो हम कहते हैं, “वो तो झक मार रहा है!” लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि इस मुहावरे में ‘झक’ शब्द का असली मतलब क्या है? अगर नहीं, तो आज हम इस रहस्य से पर्दा उठाने जा रहे हैं, जो
शायद 99% लोग नहीं जानते Jhak Marna
‘झक मारना’ का अर्थ आमतौर पर समझा जाता है कि कोई बेकार का काम कर रहा है या समय नष्ट कर रहा है. लेकिन ‘झक’ शब्द की उत्पत्ति और इसका असली मतलब जानकर आप हैरान रह जाएंगे. भाषा विशेषज्ञों के अनुसार, ‘झक’ शब्द की जड़ें संस्कृत भाषा में मिलती है. यह संस्कृत के शब्द ‘झष’ से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है ‘मछली’. जी हां, आपने सही पढ़ा—मछली ! लेकिन मछली का इस मुहावरे से क्या लेना-देना? आइए, इसकी कहानी को और गहराई से समझते हैं.
झक शब्द संस्कृत भाषा के झष से निकला
प्राचीन काल में मछली पकड़ना एक ऐसा काम था, जिसमें बहुत समय और धैर्य की ज़रूरत होती थी. मछुआरे घंटों पानी के किनारे बैठकर मछली पकड़ने का इंतज़ार करते थे और कई बार उन्हें खाली हाथ ही लौटना पड़ता था. यह प्रक्रिया इतनी लंबी और अनिश्चित थी कि इसे समय की बर्बादी से जोड़ा जाने लगा. यहीं से ‘झक मारना’ मुहावरे का जन्म हुआ. जब कोई व्यक्ति ऐसा काम करता है, जिसमें समय तो बहुत लगता है लेकिन नतीजा कुछ खास नहीं निकलता, तो उसे ‘झक मारना’ कहा जाने लगा. यह मुहावरा हिन्दी भाषा में इतना प्रचलित हो गया कि लोग इसके मूल अर्थ को भूल गए. आज के दौर में ‘झक’ को लोग किसी बेकार या नाकारा काम से जोड़ते हैं, लेकिन इसका मछली से संबंध बहुत कम लोग जानते हैं.