Jojoda Wedding दूल्हा विदा कराने झूमती पहुंची दुल्हनिया  

Jojoda Wedding उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के कलीच गांव में बीते दिनों एक ऐसी शादी हुई, जिसने पूरे इलाके को हैरान भी किया और खुश भी. आमतौर पर हर शादी में दूल्हा बारात लेकर दुल्हन के घर जाता है, लेकिन इस बार कहानी कुछ उलटी थी. दुल्हन खुद अपने परिवार और रिश्तेदारों के साथ ढोल-नगाड़ों की धुन पर झूमती हुई दूल्हे के घर बारात लेकर पहुंची.दरअसल जौनसार बावर इलाके में ऐसी परंपराएं पहले भी आम थीं, लेकिन बंगाण क्षेत्र में ये रिवाज करीब पांच दशक पहले खत्म हो चुका था. अब जब ये शादी हुई, तो पूरे गांव के लोग इस पुराने रीति-रिवाज में रंगे हुए दिखाई दिए.

मिसाल बनी नई तरह की शादी

आराकोट क्षेत्र के कलीच गांव के पूर्व प्रधान कल्याण सिंह चौहान के बेटे मनोज की शादी ग्राम जाकटा निवासी जनक सिंह की बेटी कविता से हुई. लेकिन इस शादी की खास बात थी कि कविता अपने घरवालों और रिश्तेदारों के साथ बारात लेकर खुद मनोज के घर पहुंचीं. पारंपरिक बाजों और लोकगीतों की गूंज से पूरे गांव का माहौल त्योहार जैसा लग रहा था. दूल्हे के परिवार और रिश्तदारों ने भी इस ‘उलटी बारात’ का पूरे सम्मान और उत्साह से स्वागत किया. गांव के पारंपरिक रीति-रिवाजों से भरी ये शादी देखने के लिए न सिर्फ स्थानीय लोग, बल्कि आस-पास के गांवों से भी लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी.

बिना दहेज की शादी

अब दुल्हे की जगह दुल्हन का यूं बारात लेकर आना तो खास था ही इसके अलावा इस शादी की एक और बड़ी खासियत रही कि इसमें दहेज का कोई लेनदेन नहीं हुआ. दोनों परिवारों ने सामाजिक समानता का संदेश दिया. दूल्हे के पिता कल्याण सिंह, जो इलाके में प्रगतिशील किसान और समाजसेवी के रूप में जाने जाते हैं, उन्होंने बताया- “अगर हमें अपनी संस्कृति बचानी है तो पुराने रीति-रिवाजों को फिर से अपनाना होगा.”

क्या है ‘जोजोड़ा’ परंपरा ?

बता दें कि स्थानीय भाषा में इस तरह की शादी को ‘जोजोड़ा’ कहा जाता है. इसका अर्थ है “वो जोड़ा जिसे भगवान खुद बनाते हैं.” बारात लेकर जाने वालों को जोजोड़िये कहा जाता है.इस परंपरा की शुरुआत कभी इसलिए हुई थी ताकि बेटी के पिता पर आर्थिक बोझ न पड़े. वक्त के साथ धीरे-धीरे ये रिवाज पीछे छूटती चली गई, लेकिन अब नई पीढ़ी इसे फिर से जिंदा करने की कोशिश में है.