kalisi chakrata उत्तराखंड के देहरादून जिले में छोटा सा खूबसूरत गांव है कलसी । यह खूबसूरत पर्यटन स्थल यमुना और टोंस नदी के संगम पर बसा हुआ है। उत्तराखंड और हिमाचल की विशाल पहाड़ियों और पठारों के बीच में बसा कलसी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। कलसी कहें या ‘कालसी’ देहरादून से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

यह स्थान सांस्कृतिक विरासत और अनोखी परम्पराओं से समृद्ध और काफी महत्वपूर्ण है। कलसी को जौनसार-बावर आदिवासी क्षेत्र का प्रवेश द्वार भी माना जाता है। यह जगह विभिन्न प्राचीन स्मारकों के, साहसिक खेल और पिकनिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। देश के कोने कोने से पहाड़ को निहारने आने वाले सैलानियों को यहां के शांत वातावरण में कभी न भुलाने वाला दिव्य अनुभव मिलता है।

सम्राट अशोक के गौरव का गवाह है कलसी kalisi chakrata
कलसी में स्थित भारतीय पुरालेखों के इतिहास में से एक ‘अशोक रॉक ईडिक्ट’ यहां के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। इस पत्थर पर मौर्य सम्राट अशोक के 14वें आदेश को 253 ई. पू. में प्राकृत भाषा और ब्राह्मी लिपि में उत्कीर्ण किया गया था। इसके अलावा आसन बैराज भी कलसी के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। इसे विभिन्न लुप्त प्राय प्रवासी पक्षियों की आरामगाह के रूप में जाना जाता है। यहां पर्यटक मल्लार्ड्स, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड्स, रुद्द्य शेल्दुच्क्स, कूट्स, कोरमोरेंट्स, एग्रेट्स, वाग्तैल्स, पोंड हेरोंस, पलस फिशिंग ईगल्स, मार्श हर्रिएर्स, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल्स, ओस्प्रेय्स, और स्टेपी ईगल्स जैसे अद्वितीय पक्षियों की प्रजातियों को देखने का आनंद ले सकते हैं।

कलसी में स्थित डाक पत्थर यहां का खूबसूरत और लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है। यहां आकर पर्यटक कैनोइंग, नौकायन, वाटर स्कीइंग और होवरक्राफ्ट जैसी मनोरंजन गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं। कलसी में बहने वाली यमुना नदी प्रदूषण रहित है। कलसी के लोक नृत्य, त्योहार और सांस्कृतिक विरासत भी पर्यटकों को खासा लुभाते हैं। हरियाली की गोद में बसें इस खूबसूरत स्थल पर अपने परिवार के साथ छुट्टियां बिताना बहुत आनंददायक अहसास होता है। कलसी में वैसे तो साल के किसी भी मौसम में आया जा सकता है, लेकिन फिर भी सितंबर से लेकर अप्रैल तक का समय यहां आने के लिए सर्वश्रेष्ठ है।

