Kanwad Haridwar : अंजलि बहु ने जो किया वह दुर्लभ मिसाल है

Kanwad Haridwar  सावन के पवित्र मास में शिव भक्ति की लहर हर ओर उमड़ रही है. ‘बोल बम’ के जयकारों से वातावरण गूंज रहा है. श्रद्धालु रंग-बिरंगी कांवड़ों के साथ अपने गंतव्य की ओर बढ़ रहे हैं. इस बार कांवड़ यात्रा में एक ऐसी झलक भी सामने आई है, जिसने हर किसी की आंखें नम कर दीं. लोगों के दिलों को छू लिया. हरियाणा के करनाल की रहने वाली अंजलि ने अपनी श्रद्धा और सेवा से ऐसी मिसाल पेश की जिसे देखकर राह चलते लोग भी रुक गए और उसकी श्रद्धा से नतमस्तक हो गए. अंजलि अपने पति बलवान और सास प्रसन्नी देवी के साथ हरिद्वार पहुंचीं. वहां उन्होंने हर की पैड़ी पर गंगाजल भरा. इसके बाद अंजलि ने अपने पति के साथ अपनी वृद्ध सास को कांवड़ में बैठाया और शिव का नाम लेकर सहारनपुर के लिए पैदल यात्रा शुरू कर दी.

जिसने देखा भावुक Kanwad Haridwar

Kanwad Haridwar
इस नजारे ने हर किसी को भावुक कर दिया. राहगीर, श्रद्धालु और स्थानीय लोगों ने यह देखकर बहू की सराहना करते दिखे. सास की इस अनोखी सेवा करने वाली बहू अंजलि ने बताया, ‘मां-बाप का दर्जा भगवान से भी बड़ा होता है. जो लोग अपने माता-पिता की सेवा नहीं कर सकते, भगवान भी उनसे प्रसन्न नहीं होते. सेवा ही सच्ची भक्ति है. अंजली ने बताया कि उनकी सास की इच्छा थी कि वह भी एक बार कांवड़ यात्रा करें, लेकिन चलने में असमर्थ हैं. इसलिए उन्होंने संकल्प लिया कि वह अपनी सास को कांवड़ में बैठाकर यह पुण्य यात्रा पूरी करेंगी.


पति बलवान ने भी अपनी पत्नी अंजलि की सराहना करते हुए कहा कि आज के समय में जब लोग अपने बुजुर्गों को बोझ समझते हैं, ऐसे में उनकी पत्नी ने जो कदम उठाया है वह पूरे समाज के लिए प्रेरणा है. आज भी ऐसे कई लोग हैं जो तन, मन और धन से अपने माता-पिता की सेवा कर रहे हैं. उनकी पत्नी अंजलि ने जो किया वह सच में दुर्लभ है. सहारनपुर पहुंचने पर लोगों ने अंजलि और बलवान का जोरदार स्वागत किया. हर कोई इस जोड़ी की सराहना कर रहा है. कई श्रद्धालुओं ने इस दृश्य को अपने कैमरे में कैद किया और कहा कि यह यात्रा सिर्फ कांवड़ यात्रा नहीं, बल्कि सेवा, समर्पण और संस्कार की यात्रा बन गई है.

यह कहानी न केवल आस्था की है, बल्कि माता-पिता के प्रति प्रेम और सेवा की भावना की भी है, जो आज के कलयुग में एक दुर्लभ नजारा है.हरियाणा के इस महिला ने अपनी बुजुर्ग सास को कंधों पर उठाकर सैकड़ों किलोमीटर की कांवड़ यात्रा पूरी की. जब यह दंपत्ति सहारनपुर से होकर गुजरा, तो हर किसी की नजरें इस अनोखे दृश्य पर ठहर गईं. लोग हैरत में थे कि कैसे एक बेटा और बहू, अपनी मां की इच्छा पूरी करने के लिए, श्रवण कुमार की तरह कांवड़ यात्रा पर निकल पड़े.अंजली और बलवान ने अपनी मां को एक पालकी में बिठाया और हरिद्वार के पवित्र गंगा जल को लेकर अपने गंतव्य की ओर बढ़ चले. इस दृश्य ने न केवल लोगों को भावुक कर दिया, बल्कि समाज को यह संदेश भी दिया कि माता-पिता की सेवा ही सच्ची भक्ति है.