Knife Size Law चाकू का इस्तेमाल हर घर में होता है. हालांकि although ज्यादातर घरों में ये इस्तेमाल सब्जी काटने के लिए होता है, लेकिन but कुछ घरों में लोग थोड़ा बड़ा चाकू भी रखते हैं. दरअसल actually , कटहल और सूरन जैसी सब्जियों को काटने के लिए थोड़े बड़े चाकू की जरूरत पड़ती है. लेकिन but ये चाकू कितने बड़े होंगे क्या आपको ये पता है. ?
कई डॉक्यूमेंट्स और होती है एलआईयू जाँच ? Knife Size Law

तय आकार से ज्यादा बड़ा चाकू रखना भारत में गैरकानूनी है ?
अगर नहीं तो आज आपको हम इसी से जुड़े कुछ फैक्ट्स बताते हैं। आपको बतायेंगे कि अगर आप बड़ा चाकू रखना चाहते हैं तो कानून के मुताबिक उसके लिए लाइसेंस कैसे बनवा सकते हैं. Knife Size Law भारतीय कानून के मुताबिक आप अपने घर में 6 इंच से ज्यादा बड़ा चाकू नहीं रख सकते हैं. अगर if आपके घर में 6 इंच से बड़ा चाकू पाया जाता है और आपके पास इसका लाइसेंस नहीं है तो ये कानूनन अपराध माना जाएगा और इसके लिए आपको 6 महीने की सजा हो सकती है.
इसके साथ ही आप पर जुर्माना भी लग सकता है. तो अगर if आपके घर में या किचन में 6 इंच से बड़ा चाकू है तो सबसे पहले आप लाइसेंस बनवाएं या उसे अपने घर से दूर कर दें. क्योंकि because अगर किसी ने इसकी शिकायत कर दी और पुलिस ने आपके पास से इतना बड़ा चाकू बरामद कर लिया तो आपको सजा हो सकती है.चाकू और तलवार का लाइसेंस एक जैसा ही होता है. यानी means दोनों के लाइसेंस की प्रक्रिया एक ही होती है.
अगर if आप किसी बड़े चाकू या तलवार का लाइसेंस बनवाना चाहते हैं तो इसके लिए आपको अपने जिलाधिकारी के ऑफिस जाना होगा. या तो फिर जिस शहर में कमिश्नरी सिस्टम चल रहा हो वहां के निवासी पुलिस आयुक्त के ऑफिस में भी जाकर आप आवेदन कर सकते हैं. हालांकि although इस बात का ख्याल आपको जरूर रखना है कि आप जब भी लाइसेंस के लिए आवेदन करें तो उसमें इस बात का जिक्र जरूर करें कि आपको हथियार की जरूरत क्यों पड़ रही है. इसके साथ ही आपको अपना फिटनेस सर्टिफिकेट यहां लगाना होगा.
जब लाइसेंस के लिए आपका आवेदन हो जाता है तो उसके बाद तीन जगहों से आपकी रिपोर्ट मांगी जाती है. इसमें सबसे पहले आपके आवेदन को आपके नजदीकी पुलिस थाने और एसडीएस ऑफिस भेजा जाता है. फिर खुफिया विभाग से भी आपकी रिपोर्ट मांगी जाती है. यह सब जांच इसलिए होते हैं ताकि आवेदक का कैरेक्टर कैसा है अगर इसे लाइसेंस दिया गया तो वो इसका गलत इस्तेमाल तो नहीं करेगा, इसकी भी जांच होती है.
हालांकि although ये भी पता लगाया जाता है कि कहीं आवेदक पर पहले से कोई मुकदमा तो नहीं दर्ज है, और उसकी मानसिक स्थिति पूरी तरह से ठीक है या नहीं इसकी भी जांच होती है. जब यह सब क्लीयर हो जाता है तो उसके बाद ही जिलाधिकारी या पुलिस कमिश्नर लाइसेंस जारी करने का फैसला लेते हैं. लेकिन but एक बार लाइसेंस मिलने के बाद इसकी समयावधि 5 साल की होती है. इसके साथ ही हर साल लाइसेंस रिन्यू कराने के लिए आपको सौ रुपये प्रति साल जमा कराने पड़ते हैं.
पति को ‘काला’ कहना क्रूरता , पत्नी को पड़ा भारी ! https://shininguttarakhandnews.com/calling-husband-black/