Kuber Temple धनतेरस से ही दिवाली के त्योहार की शुरुआत हो जाती है. धनतेरस पर धन देवता यानी कुबेर जी की पूजा की जाती है. यहां हम आपको उत्तराखंड में स्थित कुबेर जी के सबसे पुराने मंदिर के बारे में बताने वाले हैं, यहां अर्जी लगाने से ही धन की बरसात होने लग जाती है. धनत्रयोदशी का त्योहार यानी धनतेरस पर बर्तन और गहने जैसी तमाम चीजों को खरीदते हैं. इस दौरान लोग देवभूमि के प्राचीन कुबेर मंदिर में मन्नत मांगते हैं।
कुबेर मंदिर में पूजा से होती है धन की वर्षा Kuber Temple

बता दें कि दिवाली के त्योहार की शुरुआत भी धनतेरस वाले दिन से ही शुरू हो जाती है. इस दिन धन के देवता कुबेर की पूजा करने का विधान है. चूंकि इस खास दिन पर भगवान को कुबेर को पूजा जाता है, इसलिए हम यहां आपको भारत के सबसे प्राचीन कुबेर मंदिर के बारे में बताने वाले हैं. ये मंदिर देवभूमि उत्तराखंड में है.
उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से जाना जाता हैं. हरिद्वार यहां का सबसे पावन तीर्थ स्थल माना जाता है. दूर-दूर से लोग मां गंगा में डुबकी लगाने के लिए यहां आते हैं. न सिर्फ भारत के लोग बल्कि विदेशी लोग भी उत्तराखंड में ध्यान-साधना के लिए लगाते हैं. लेकिन यहां मौजूद कुबेर का मंदिर बेहद खास है, जहां सिर्फ अर्जी लगाने से ही सारे काम बनने लग जाते हैं.
उत्तराखंड से 40 किलोमीटर की दूरी पर जागेश्वर धाम नामक का मंदिर स्थित है. इस धाम में एक कुबेर मंदिर भी है. इस पवित्र मंदिर में स्थानीय लोग हर दिन पूजा-पाठ करते हैं. धनतेरस और दिवाली के दिन भक्तों की भीड़ लगी रहती है. आपको बता दें कि या देश का छठा कुबेर मंदिर है. यहां एकमुख शिवलिंग में कुबेर भगवान विराजमान हैं.
इस कुबेर मंदिर का इतिहास काफी दिलचस्प है. कहा जाता है कि कुबेर मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में किया गया था. वहीं, कुछ अन्य लोगों का मानना है कि 7वीं शताब्दी से लेकर 14 वीं शताब्दी के बीच कत्यूरी राजवंश के दौरान इस मंदिर का निर्माण हुआ था. जिन लोगों का कारोबार ठीक ढंग से नहीं चल रहा या फिर पैसों की कमी आ रही है. वे लोग इस कुबेर मंदिर में अर्जी लगाने के लिए पहुंचते हैं. इस मंदिर से जुड़ी एक और मान्यता है कि यहां के गर्भगृह की मिट्टी ले जाकर अपनी तिजोरी में रखते है, उसके घर में कमी धन की कमी नहीं होती.
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