Kuwait Fire Incident कुवैत के मंगाफ शहर में बुधवार को एक इमारत में भीषण आग लग गई है। जिसमें 41 लोगों की मौत हो गई और 30 घायल हो गए। इन मरने वालों में 40 भारतीय शामिल हैं। परदेस में कई हिंदुस्तानी राख हो गए हैं. कुवैत के मंगाफ में हुए अग्निकांड में 40 भारतीयों की मौत हो गई है. एक फ्लैट में लगी आग, इतनी विध्वंसक हो गई कि उन्हें अपनी जान बचाने तक का मौका नहीं मिला. मरने वालों से जुड़ी कहानियां सामने आ रही हैं. कोई अपने बच्चों का एडमिशन कराने देश लौटने वाला था, कोई शादी करने के लिए भारत लौट रहा था.
क्या है पूरा मामला Kuwait Fire Incident
‘बेटी का एडमिशन कराने वाले थे, जिंदा जलकर हुए राख’
केरल के रहने वाले एक मैकेनिक की कहानी कुछ ऐसी ही है. वे 18 साल पहले कुवैत गए थे. उन्होंने मेहनत की और सुपरवाइजर बन गए. वे इलेक्ट्रीशियन थे लेकिन उन्होंने एकाउंटेंसी सीख ली थी. 48 साल के वडक्कोट्टुविलायिल लुकोस ने कभी सोचा नहीं था कि 18 साल के इंतजार का हश्र ये होगा. वे NBTC ग्रुप में सुपरवाइजर थे. इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर केरल के व्यवसायी के जी अब्राहम हैं. लुकोस कोल्लम के आदिचनल्लूर पंचायत से हैं. उनके परिवार से जुड़े एक शख्स ने बताया, ‘उन्हें अपनी सबसे बड़ी बेटी लिडिया के कॉलेज एडमिशन के लिए अगले महीने घर आना था. बेटी ने ए-प्लस के साथ 12वीं क्लास पास की थी.’ अब उनके परिवार में उनकी पत्नी शाइनी और दो बेटियां बची हैं. लोया 5वीं क्लास में पढ़ती है, वहीं लिडिया 12वीं पास की है.
‘शादी का सपना था, जलकर हुए राख’
हादसे में के रंजीत की भी मौत हो गई है. 33 साल का यह नौजवान, एनबीटीसी में अकाउंटेंट था. के रंजीत के एक दोस्त ने कहा, ‘रंजीत चेरकला का रहने वाला है. वह छुट्टी पर था, घर जाने वाला था. लेबर कैंप में रह रहा था. उसका टिकट कन्फर्म नहीं हुआ था. रंजीत की शादी नहीं हुई थी. वह शादी करने वाला था. वह बीते 10 साल से कुवैत में था. वह इलेक्ट्रीशियन था. वह पहले कैटरिंग में काम करता था लेकिन मेहनत करके वह अकाउंटेंट बन गया था. वह दो साल पहले अपने घर लौटा था, जब नया घर बनकर तैयार हो गया था.’ रंजीत के पिता रवींद्रन और मां रुग्मणी हैं. उनके दो भाई हैं, जिनका इंतजार कभी पूरा नहीं होगा. शादी का सपना, सपना रह गया.