Madarsa Education यूपी के मदरसों से निकलेंगे AI ट्रेंड बच्चे, उत्तराखंड वेद कुरआन में उलझा
यूपी के मदरसों में कम्प्यूटर क्लास उत्तराखंड के मदरसों को धामी से आस
योगीराज में डिजिटल लिट्रेसी को बढ़ावा – देवभूमि में मदरसा डिग्रियों से छलावा
कोडिंग में भी बनेंगे एक्सपर्ट, योगी सरकार के फैसले से बदलेगी सूरत
क्या मुफ़्ती शमून कासमी बदल पाएंगे धामी सरकार में मदरसों की सूरत ?
उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अभी बहुत पिछड़ा Madarsa Education

उत्तर प्रदेश के मदरसों में पढ़ने वाले छात्रों की किस्मत बदलने वाली है. यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मदरसों में आधुनिक शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक अहम फैसला लिया है. इस फैसले के बाद अब मदरसों से भी ट्रेंड बच्चे निकलेंगे.बेसिक शिक्षा परिषद के साथ मिलकर मदरसा शिक्षा परिषद अब ये व्यवस्था लागू करने जा रहा है. इसके लिए पहले मदरसे के शिक्षकों के लिए ओरियंटेशन मॉड्यूल ऑन एआई शुरू करेगी although वहीँ आधुनिक और बेहतरीन तालीम के मापदंडों पर उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अभी बहुत पिछड़ा नज़र आता है। क्या है वजह आपको बताते हैं
योगी सरकार ने फैसला लिया है कि मदरसा शिक्षा परिषद के सिलेबस में डिजिटल लिट्रेसी को बढ़ावा दिया जाएगा. मदरसे के छात्र अब कोडिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की पढ़ाई करेंगे.इधर उत्तराखंड मदरसा बोर्ड की बात करें तो यहाँ ड्राप आउट की संख्या ही हकीकत बयान कर देती है। शिक्षा के मामले में देश के सबसे कामयाब राज्य में धामी सरकार नयी एजुकेशन पालिसी के ज़रिये बेहतरीन योजनाओं पर काम कर रही है। लेकिन but जब बात मदरसों की हो तो हालत बेहद सोचनीय है। मदरसों में कंप्यूटर तो छोड़िये स्टूडेंट्स ही बेहद कम हैं , लड़कियों की संख्या तो और भी चिंताजनक है।
उत्तराखंड में अनुदान से चलने वाले मदरसे योजनाओं का पूरा लाभ लेते हैं लेकिन but सुविधाएं , जैसे किताबे , कम्प्यूटर , टीचर , आधुनिक क्लास पेयजल , शौचालय जैसे बुनियादी ज़रूरतों पर संघर्ष आज भी कड़वी हकीकत बयान कर रहा है। उधमसिंह नगर , नैनीताल , सितारगंज , हल्द्वानी , हरिद्वार , देहरादून में बड़ी संख्या में मदरसे हैं लेकिन but यहाँ महज खानापूर्ति दिखाई देती है। ऐसे में नए चेयरमैन बने मुफ़्ती शमून कासमी के सामने बेहिसाब चुनौतियाँ भी हैं जिस पर कामयाबी हासिल करना भी एक चुनौती है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि मदरसे के छात्र भी तकनीक के अध्ययन में पीछे न रहें इसके लिए उन्हें मोर्डन एजुकेशन से जोड़ा जा रहा है। इस मामले में उत्तराखंड फिसड्डी तो यूपी अव्वल साबित होता है क्योंकि because यूपी मदरसा बोर्ड अपने स्टूइडेण्ट्स को विश्वस्तरीय हायर एजुकेशन के लिए तकनीक और सूचना प्रौद्योगिकी के अध्ययन पर ज़ोर दे रहा है लेकिन but उत्तराखंड मदरसा बोर्ड अपनी मान्यता के लिए ही जूझता रहा है जहाँ डिग्रियों को समकक्षता की फ़ाइल रेंग रही है। सेलेबस और बोर्ड में अधिकारीयों की कमी कोढ़ में खाज का काम कर रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्कूल हो या मदरसा सभी जगह क्वालिटी एजुकेशन के लिए महकमों को बेहतर काम करने के सख्त निर्देश दिए हैं लेकिन but अल्पसंख्यक भवन जैसे सफ़ेद हांथी की सेहत पर कोई असर पड़ता नज़र नहीं आता है। यूपी जहाँ मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए पिछले कुछ सालों से अभिनव प्रयोग कर रहा है तो वहीँ उत्तराखंड के मदरसा टीचर्स को कई महीने की तनख्वाह भी मयस्सर नहीं होती है उस पर कम्प्यूटर , हिंदी और अंग्रेजी को टीचरों का अभाव भी एक समस्या है। प्रदेश के मदरसों में भी बाकी स्कूलों की ही तरह शिक्षा मिले, सुविधाएं मिले , प्रतियोगिता के दौर में बराबरी का मौका और कामयाबी मिले इसके लिए धामी सरकार के भरोदे पर खरा उतरने के लिए मुफ़्ती शमून कासमी को भागीरथी प्रयास करना पड़ेगा…
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