Madarsa Enquiry : पिट रहे बच्चे – कुंभकर्णी नींद सोया उत्तराखंड मदरसा बोर्ड 

Madarsa Enquiry  एक तरफ धामी सरकार मदरसों को मुख्य धारा से जोड़ने के लिए योजनाएं बना रही है। मदरसा बोर्ड को बजट और सुविधाएं दे रही है लेकिन लगता है उत्तराखंड मदरसा बोर्ड बोल बचन से आगे बढ़ ही नहीं पा रहा है या कुम्भकर्णी नींद सोया हुआ है। हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि राजधानी में मदरसे में बच्चों की पिटाई होती है , पुलिस और बाल आयोग पहुँचता है जांच होती है लेकिन मदरसा बोर्ड ख़ामोशी की चादर ओढ़ कर ऑल इज़ वेल का दावा कर रहा है। राजधानी देहरादून में मदरसे के अंदर बच्चों के साथ मारपीट का मामला बीते दिनों सामने आया था. इस मामले में पुलिस ने जांच की. प्राथमिक जांच में बच्चों के साथ मारपीट की पुष्टि हुई है, जिसके बाद पुलिस ने देहरादून की पटेल नगर कोतवाली में मदरसा संचालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया. 
 

एसएसपी अजय सिंह ने मामले की पुष्टि की  Madarsa Enquiry


आपको बता दें  कि बीती 8 अगस्त को देहरादून के एक मदरसे में करीब 30 बच्चों की तबीयत खराब हो गई थी, जिसका वीडियो भी सामने आया था. इस वीडियो का उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने संज्ञान लिया था और देहरादून एसएसपी अजय सिंह को जांच के निर्देश दिए थे. इसके बाद बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष डॉ गीता खन्ना और आईएसबीटी पुलिस चौकी प्रभारी के नेतृत्व में संयुक्त टीम का गठन किया गया. इस टीम ने उक्त मदरसे का निरीक्षण किया. निरीक्षण के दौरान सामने आया है कि 400 गज में बने इस मदरसे में 250 छात्र अध्ययन करते हैं. इसमें से 60 छात्र बिहार के हैं. वहीं 55 छात्र हॉस्टल में रहते हैं.वहीँ हैरानी की बात है कि चंद किलोमीटर की दूरी पर आबाद अल्पसंख्यक भवन मे मदरसा बोर्ड अपनी ही दुनिया में खोया है जहाँ शायद इन ख़बरों और मामलों की गर्माहट नहीं पहुँच रही है ऐसे में सीएम धामी को संजीदगी दिखाते हुए मदरसा बोर्ड की सुस्त कार्यशैली को नए सिरे से सुधारने की पहल करनी चाहिए। 
 
 मदरसा बोर्ड से रिपोर्ट मांग सकते हैं सीएम धामी 
दरअसल ये कोई  है कि उत्तराखंड के मदरसों की बदहाली की तस्वीर और बच्चों की दुर्दशा का केस सामने आया है। जानकार कहते हैं कि मुसलमानों की सियासत करने वाले मुफ़्ती मौलवी और नेता जब अपनी कुर्सी बचाने की जुगत में लगे रहेंगे तो अल्पसंख्यक समाज की तरक्की कैसे होगी। अब वापस खबर पर आते हैं जहाँ  पुलिस ने मदरसे में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी अपने कब्जे में लिया और  जब सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली तो सामने आया कि 25 जुलाई दोपहर को करीब 2.30 बजे किसी ने एक कैमरे पर टेप चिपका दिया. इससे वहां कुछ नहीं दिख रहा था. संदेह होने पर पुलिस ने आगे की फुटेज चेक की तो 2 दिन बाद 27 जुलाई को एक कमरे में बच्चों को लाइन में खड़ा किया गया था और फिर एक अज्ञात व्यक्ति ने उन्हें जमकर पीटा.

पुलिस ने मुताबिक सीसीटीवी कैमरे में दिख रहा था कि इस दौरान एक बच्चा कमरे में बंद था और फर्श पर लेटा हुआ था. जब इस बारे में बाल आयोग की अध्यक्ष ने मदरसा संचालक से पूछताछ की तो उसका जवाब संतोषजनक नहीं मिला. इस आधार पर पुलिस ने मदरसा संचालक रईस अहमद के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया है.

वहीँ इस गंभीर मामले में देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने कहा है कि इस मामले में एंटी ह्यूमन ट्रैफिक टीम को भी शामिल किया गया है. क्योंकि पुलिस को इस तरह की शिकायत भी मिली है कि बच्चे कई बच्चे बाहर से उनकी माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध भी लाए जाते हैं. फिलहाल पुलिस को मदरसे के अंदर से जो सीसीटीवी फुटेज मिले हैं, उसके आधार पर केस दर्ज किया गया है. मामले की जांच की जा रही है.देखना होगा कि मदरसों के ज़िम्मेदार मदरसा बोर्ड के अधिकारी और अध्यक्ष क्या कोई कार्यवाही करेंगे या कुम्भकर्णी नींद सोता रहेगा….
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