Marriage Tips शादी से पहले ज़रूरी है परिवार की पहचान

Marriage Tips बीते दिनों ग्रेटर नोएडा में हुई निक्की की मौत ने समाज को एक बार फिर दहला दिया है. आरोप है कि 35 लाख रुपये की दहेज मांग पूरी न होने पर निक्की को जिंदा जला दिया गया . यह वारदात इतनी दिल दहला देने वाली थी कि मासूम बेटे की आंखों के सामने ही मां को आग के हवाले कर दिया गया. बेटे ने रोते हुए बताया कि “पापा ने मम्मी को लाइटर से जलाकर मार डाला.” यह घटना न केवल कानून और समाज के लिए चुनौती है, बल्कि रिश्तों और इंसानियत पर भी गहरा सवाल उठाती है.इसके अलावा कई ऐसे मामले सामने आये हैं जहाँ रिश्तों में नफरत की इन्तहा होते हमने देखी है। लेकिन ऐसा क्यों हो रहा है ये समझना ज़रूरी है।

रिश्ते में बराबरी और सम्मान को मिले मान Marriage Tips

रिश्तों की नींव प्यार, भरोसा और बराबरी पर टिकती है. लेकिन निक्की जैसे का रिश्ता इस कड़वी सच्चाई का उदाहरण है कि जब इंसानियत खत्म हो जाती है तो शादी जैसे पवित्र बंधन भी केवल लालच और स्वार्थ का खेल बनकर रह जाते हैं. पति, जो पत्नी का सबसे बड़ा सहारा होना चाहिए, वही अगर उसके जीवन का सबसे बड़ा खतरा बन जाए तो यह समाज की सोच पर सबसे बड़ा सवालिया निशान है. ऎसी घटनाएं ज़ाहिर करती है कि आज के दौर में कैसे रिश्तों की पवित्रता को पैसों ने झुलसा दिया है। हमे सोचना होगा कि क्या यही कड़वाहट हम आने वाली पीढ़ियों को देना चाहते हैं?


ऐसे में आज सबसे जरूरी है कि शादी से पहले ऐसे लालची परिवारों की पहचान की जाए. रिश्ते तय करते समय सिर्फ पढ़ाई-लिखाई, नौकरी और पैसे पर ध्यान न देकर परिवार के संस्कार और सोच को समझना जरूरी है. अगर बार-बार दहेज की बातें हों, छोटी-छोटी मांगें की जाएं या परिवार महिलाओं के सम्मान को अहमियत न देता हो, तो यह भविष्य के लिए खतरे का संकेत है.

आज के दौर में शादी को केवल सामाजिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि जीवन भर का साझेदारी वाला रिश्ता मानना होगा. अगर रिश्ते में बराबरी और सम्मान नहीं है, तो वह रिश्ता टूटने के लिए ही बना है. बेटियों और उनके परिवारों को भी अपनी सुरक्षा और आत्मसम्मान को प्राथमिकता देनी होगी.
क्या सजा भर से इस सोच का अंत हो जाएगा ?


मेरठ का नीला ड्रम कांड हो या घटनाओं में आरोपी भले ही कानून के हत्थे चढ़ जाते हों लेकिन सवाल यह है कि क्या सजा भर से इस घातक सोच का अंत हो जाएगा ? शायद नहीं. जब तक समाज सामूहिक रूप से दहेज को ‘ना’ कहकर रिश्तों को भरोसे और इंसानियत पर नहीं बनाएगा, तब तक ऐसी घटनाएं रुकने का नाम नहीं लेंगी. इन वैवाहिक रिश्तों में भरोसे की मौत केवल एक व्यक्ति की मौत नहीं है, बल्कि यह चेतावनी है उन सभी परिवारों के लिए जो आज भी दहेज ,लालच ,अहंकार को रिश्तों से बड़ा मानते हैं. शादी को सौदा नहीं, बल्कि बराबरी और सम्मान का बंधन मामने की जरूरत है तभी रिश्तों में भावनाएं और भरोसा कायम रह सकता है।