men forbidden places भारत एक मंदिरों का देश है जहां करोड़ों मंदिर हैं । जहां लोग भगवान की पूजा करते हैं । लेकिन भारत में कुछ ऐसे मंदिर हैं जहां पुरुषो का जाना बैन है। कई मंदिरों में तो साल के कुछ दिन सिर्फ महिलाओं को ही पूजा-अर्चना करने की अनुमति है। चलिए आपको इन मंदिरों के बारे में बताते हैं
राजराजेश्वरी माता मंदिर men forbidden places
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बिहार के मुजफ्फरपुर का माता मंदिर आम तौर पर सभी श्रद्धालुओं के लिए खुला होता है, लेकिन ऐसी मान्यता है कि मंदिर में विराजमान षोडशी देवी कुमारी कन्या हैं। वह महीने में 4 दिन रजस्वला में होती हैं। इस दौरान कोई भी पुरुष मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है। इस नियम का इतनी सख्ती से पालन होता है कि मंदिर के पुजारी को भी इस दौरान गर्भगृह में रहने की अनुमति नहीं है। इस मंदिर की गिनती बिहार के प्रमुख शक्तिपीठों में होती है।
कामाख्या मंदिर
कामाख्या मंदिर नीलांचल पर्वत पर बना हुआ है. आपको बता दे कि माता के सभी शक्तिपीठों में कामाख्या शक्तिपीठ का स्थान सबसे ऊपर है. और यह मंदिर असम के गुवाहाटी में स्थित है। दरअसल माता के माहवारी के दिनों में यहां उत्सव मनाया जाता है। जिसके चलते इन दिनों पुरुषों की एंट्री बिलकुल बैन होती है . और इस दौरान यहां की पुजारी भी एक महिला होती है।
ब्रह्मदेव का मंदिर
भगवान ब्रह्मा का मंदिर पूरे भारत में सिर्फ एक ही है जो राजस्थान के पुष्कर में मौजूद है । इस मंदिर का निर्माण 14वीं शताब्दी में बनाया गया था, जहां शादीशुदा पुरुष का आना बैन है. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि देवी सरस्वती के श्राप की वजह से यहां कोई भी शादीशुदा पुरुष नहीं जा सकता। इसलिए पुरुष सिर्फ आंगन से ही हाथ जोड़ लेते हैं और शादीशुदा महिलाएं अंदर जाकर पूजा करती हैं।
आट्टुकाल देवी मंदिर
केरल के अट्टुकल भगवती मंदिर में महिलाओं का वर्चस्व है। यहां हर साल पोंगल का खास त्यौहार मनाया जाता है। जिसमें लाखों महिला श्रद्धालु हिस्सा लेती हैं। ये कार्यक्रम 10 दिन तक चलता है, इसे नारी पूजा भी कहते हैं। इस दौरान यहां पुरुषों का प्रवेश वर्जित होता है। इस मंदिर का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी दर्ज है। यहां के पुरुष पंडित दिसंबर में महिलाओं के लिए 10 दिन का उपवास रखते हैं और पहले शुक्रवार को महिला श्रद्धालुओं के पैर धोते हैं। इस दिन को धनु कहा जाता है।
भगवती देवी मंदिर
ये मंदिर कन्याकुमारी में स्थित है इस मंदिर में मां भगवती की पूजा की जाती है । ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव को अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए मां भगवती यहां एक बार तपस्या करने के लिए आई थी। भगवती माता को संन्यास देवी भी कहते हैं। सन्यासी पुरुष इस गेट तक ही मां के दर्शन कर सकते हैं। इसके साथ ही शादीशुदा पुरुषों को भी इस मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है।
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