Mental Health : फालतू दिमाग का क्या मतलब है ?

Mental Health दिमाग में चल रहे हमारे विचार हमारे मूड को काफी प्रभावित करते हैं। विचार अगर अच्छे और सकारात्मक हैं, तो मूड अच्छा बना रहता है, लेकिन अगर यही विचार फिजूल के हैं और बिना किसी लॉजिक के दिमाग में घर किए हुए हैं, बेवजह ही आपको डिस्टर्ब करते हैं। इससे आपका पूरा जीवन नेगेटिविटी की तरफ जाने लगता है।

विचार आपको मेडिटेशन करने से रोकेंगे Mental Health

इसलिए जरूरी है कि ऐसे विचारों से तुरंत दूरी बना ली जाए।  ऐसे में नए साल पर कुछ तरीकों से आप अपने दिमाग में घुसे नेगेटिव विचार को निकाल सकते हैं और नए और पॉजिटिव माइंडसेट की तरफ आगे बढ़ सकते हैं। अगर आप भी पॉजिटिविटी के साथ नए साल का स्वागत करना चाहते हैं, तो इन तरीकों को अपनाकर अपने दिमाग में मौजूद फिजूल के ख्याल निकाल सकते हैं।

मेडिटेशन

फालतू विचारों से डील करना है, तो मेडिटेशन से बढ़ कर कुछ नहीं हो सकता है। मेडिटेशन की शुरुआत करने के लिए पीठ सीधी रख कर बैठें। टाइमर सेट करें और अपनी सांसों पर ध्यान करें। इस दौरान आप खुद को विचारों से लड़ता हुआ महसूस करेंगे। कई विचार आपको मेडिटेशन करने से रोकेंगे। लेकिन जब आंखें बंद कर के टाइमर के अनुसार सख्त नियम के साथ मेडिटेशन करेंगे, तो कुछ समय के बाद आपको डिस्टर्ब करने वाले सभी विचार आपको शून्य लगने लगेंगे, बढ़ी हुई पावर और फोकस के साथ आप एनर्जेटिक महसूस करेंगे। हां, लेकिन इसके लिए निरंतर प्रैक्टिस की जरूरत होती है।

पॉजिटिव लोगों के साथ रहें अपने मन में निगेटिव ख्याल आने से रोकने के लिए अच्छे लोगों के संपर्क में रहें। उनसे बातचीत करें। पॉजिटिव और ग्रोथ की बातें करें। सफलता और आगे बढ़ने की चर्चा करें। किसी बड़े से उनके जीवन के अनुभव सुनें। एक छोटा सा संवाद आपके विचार बदल कर रख सकता है। इसलिए पॉजिटिव लोगों से मिलें और उनसे बातें कर के दिमाग को शांत करें।

बिजी रहें 5 मिनट भी अकेले बैठने पर अगर नेगेटिव विचार आपके ऊपर हावी होते हैं, तो सबसे पहले अकेले बैठने से बचें। इसके लिए खुद को बिजी रखें। गार्डेनिंग करें, साइकिलिंग करें, घर ऑर्गेनाइज करें, मूड बेहतर करने वाली मूवी या सीरीज देखें या फिर एक पेट पाल लें। इससे आप घंटों आप व्यस्त रहेंगे और फिजूल के विचार मुश्किल से ही मन में आएंगे।

काउंसलर की मदद लें अगर आपको लगता है कि आपके विचार आपके कंट्रोल से पूरी तरह से बाहर हैं, तो इसमें घबराने की जरूरत नहीं है। ज्यादातर लोगों के साथ ऐसा होता है। ऐसी स्थिति में काउंसलर से संपर्क करें और अपनी समस्या पर खुल कर चर्चा करें। ये न सोचें कि सिर्फ इतनी सी बात के लिए कोई काउंसलर के पास क्यों जाएगा। ये छोटे विचार ही आगे चलकर डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं।

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