Millets Policy: कीवी संवारेगी उत्तराखंड की किस्मत !

Millets Policy: कृषि एवं उद्यान मंत्री गणेश जोशी ने बताया कि बारहनाजा मिलेट्स उत्पादन उत्तराखंड की मौलिक पहचान रही है। इसी को देखते हुए सरकार ने मंडुवा, कौणी, झंगोरा जैसे मिलेट्स को पुनः आधुनिक और वैज्ञानिक तौर – तरीकों से उत्पादित करने के लिए उत्तराखंड मिलेट्स पॉलिसी 2025 – 26 लाई है। जो 11 पर्वतीय जनपदों में लागू होगी।

मंत्री ने कहा कि इसी तरह से उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र को फल- पट्टी के रूप में डेवलप करने के लिए कीवी और ड्रैगन फ्रूट्स जैसे आधुनिक फलों के उत्पादन तथा सेब के उत्पादन को विस्तारित करने के लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रेरित किया जा रहा है। इसी के  चलते सरकार ने उत्तराखंड कीवी नीति, ड्रैगन फ्रूट्स खेती योजना, मुख्यमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम उन्नयन योजना और सेब की तुड़ाई उपरांत प्रबंधन योजना लाई है। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से पहाड़ में लोगों को स्थानीय स्तर पर ही स्वरोजगार मिलेगा  जो पलायन जैसी समस्या की रोकथाम में भी प्रत्यक्ष- अप्रत्यक्ष रूप से सहायक सिद्ध होगा।

Millets Policy

इस पॉलिसी(Millets Policy) के अन्तर्गत दो चरणों में कार्य किया जायेगा।प्रथम चरण में 24 विकास खण्डों में 30000 हैक्टेयर क्षेत्रफल पर 2025-26 से 2027-28 तक कार्य किया जाएगा। द्वितीय चरण में 44 विकासखण्डों में 40000 है० क्षेत्रफल पर 2028-29 से 2030-31 तक कार्य किया जाएगा।मिलेट् पॉलिसी प्रदेश के 11 जनपदों में लागू होगी।उत्तराखण्ड स्टेट मिलेट्स पॉलिसी के अन्तर्गत कुल रु० 134.89 करोड की कार्ययोजना का संचालन किया जायेगा।इसमें मण्डुवा, झंगोरा, रामदाना, कौणी एवं चीना फसलों को सम्मिलित किया गया है।जिसके तहत चयनित मिलेट फसलों के बीज एंव जैव उर्वरक को 80 प्रतिशत अनुदान पर कृषकों को वितरित किया जायेगा।कृषकों को मिलेट्स की बुवाई करने पर प्रोत्साहन धनराशि दी जायेगी।पंक्ति बुवाई पर रु0 4000 प्रति हैक्टेयर तथा सीधी बुवाई पर रु0 2000 प्रति हैक्टेयर प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।समूह को मिलेट्स फसलों के अन्तग्रहण पर रू 150 कुंटल के स्थान पर रु० 300 प्रति कुंटल कुन्तल की दर से प्रोत्साहन धनराशि का भुगतान किया जायेगा।

प्रत्येक वर्ष  मिलेट्स पॉलिसी(Millets Policy) के तहत विकासखण्ड स्तर पर उत्कृष्ट कार्य के लिए 02 कृषक समूह को पुरस्कृत किया जायेगा।प्रत्येक विकासखण्ड स्तर पर 01 मिलेट प्रसंस्करण इकाई की स्थापना की जायेगी।मिलेट्स फसलो के संवर्धन और प्रोत्साहन के लिए प्रदेश में न्यूट्री हब की एक परियोजना प्रबंधन ईकाई गठित की जाऐगी।इसमें थर्ड पार्टी आडिट का भी प्रावधान किया गया है।योजना के तहत 3 लाख से अधिक किसानों को लाभ देने का लक्ष्य है।श्रीअन्न फूड पार्क की स्थापना के लिए भी कार्य किया जाऐगा।

उत्तराखण्ड कीवी नीति

प्रस्तावित नीति वर्ष 2025-26 से 2030-31 (6 वर्ष) तक रहेगी।कीवी उद्यान स्थापना हेतु कुल लागत 12 लाख प्रति एकड़ का 70 प्रतिशत राजसहायता का प्राविधान किया गया है। जिसमें 30 प्रतिशत लाभार्थी का अंश होगा। हरिद्वार एवं उधमसिंहनगर को छोड़कर राज्य के शेष 11 जनपदों में इस नीति का क्रियान्वयन किया जायेगा।कीवी पालिसी के अन्तर्गत कुल रु0 894 करोड की कार्ययोजना का संचालन किया जायेगा। न्यूनतम भूमि 02 नाली (0.04है0) तथा अधिकतम भूमि 100 नाली (2है0) की पात्रता होगी।कीवी नीति के तहत 3500 हैक्टेयर क्षेत्रफल को आच्छादित किये जाने का लक्ष्य है, जिसमे करीब 17500 किसान लाभान्वित होंगे।वर्तमान में राज्य के लगभग 683 हैक्टेयर के क्षेत्रफल में 382 मैट्रिक टन कीवी का उत्पादन किया जा रहा है। वर्तमान उत्पादन को बढ़ाकर 33000 मैट्रिक टन एवं उत्पादकता को बढ़ाकर लगभग 08 मैट्रिक टन प्रति हैक्टेयर करने का लक्ष्य प्रस्तावित है।

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