Special Story By : Anita Tiwari , Dehradun
Nayantara Sehgal Letter देवभूमि उत्तराखंड अपनी सांस्कृतिक विरासत और और सुकून से भरी खूबसूरत धरती के लिए जानी जाती है … लेकिन बीते 1 साल की बात करें तो देव भूमि की फिजा में भी नफरत ही बयानबाजी की बाढ़ सी आ गई है … पहाड़ से लेकर मैदान तक जो कुछ हो रहा है वह कम से कम देवभूमि की पहचान नहीं है …

Nayantara Sehgal Letter दिग्गजों ने लिखा सीएम धामी को पत्र
- Nayantara Sehgal Letter उत्तर प्रदेश , महाराष्ट्र , बिहार , राजस्थान जैसे बड़े राज्यों में सामुदायिक टकराव भड़काऊ बयान बाजी और सड़कों पर उपद्रव सबने देखे हैं , लेकिन 70 विधानसभा और 5 सांसदों वाले छोटे से पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में कुछ समय पहले तक न सांप्रदायिक तनाव था न वैमनस्यता की भावना , लेकिन धीरे-धीरे देश की हवा ने देवभूमि की फिजा को भी प्रभावित किया है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मंच से ऐलान करते हैं कि यहां पर भी कॉमन सिविल कोर्ट और पुलिस वेरिफिकेशन जैसे अभियान की सख्त जरूरत है। क्योंकि देवभूमि किसी के लिए आरामगाह नहीं है कि कोई भी कहीं से यहां आ जाएगा और अपराध कर छुप जाएगा।

- Nayantara Sehgal Letter 2022 के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम यूनिवर्सिटी का मुद्दा हो या जुमे की नमाज पर सरकारी छुट्टी का विवाद हो बड़े पैमाने पर इन मुद्दों ने चुनाव में जीत हार का अंतर बढ़ा दिया था। ऐसे में जिस राज्य में कभी हिंदू मुस्लिम या मंदिर मस्जिद जैसे मसले नहीं सामने आते थे आज वहां भी लाउडस्पीकर और वेरिफिकेशन की बात की जाती है। यह बदला हुआ उत्तराखंड है , यह बदली हुई सियासत है और बदली हुई लोगों की मानसिकता , शायद इसीलिए उत्तराखंड के क्रीमी लेयर एक गुट ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड में नफरत ही बयानबाजी और सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए चिट्ठी लिखी है।

- Nayantara Sehgal Letter मशहूर लेखिका नयनतारा सहगल, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव एसके दास समेत विभिन्न क्षेत्रों के प्रमुख लोगों ने उत्तराखंड में नफरती बयानबाजी और सांप्रदायिक तनाव की स्थिति पर चिंता जाहिर की है। उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर राज्य में शांति और और सौहार्द बनाने के लिए अधिकारियों को कार्रवाई के लिए निर्देशित करने का अनुरोध किया है।

- Nayantara Sehgal Letter पत्र में कहा गया है कि उत्तराखंड शांतिपूर्ण राज्य के तौर पर जाना जाता है। सांप्रदायिक हिंसा को रोकने के लिए कुछ अधिकारियों और स्थानीय नागरिकों की त्वरित कार्रवाई से सद्भाव और लोकतंत्र के लिए स्थानीय आबादी की प्रतिबद्धता भी प्रकट होती है। लेकिन उत्तराखंड में नफरत और सांप्रदायिक तनाव फैलाने की कोशिश बेहद चिंताजनक है।

- पत्र में कहा गया है कि हिंसा की ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए प्रशासन के सक्रिय कार्रवाई न करने पर न्यायालय गंभीर आशंका जाहिर कर चुका है। पत्र में धर्म संसद के मुख्य आयोजक यती नरसिंहानंद का भी जिक्र किया गया। कहा गया कि चार आईपीएस अधिकारी (जिनमें दो सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक हैं) जनवरी में पत्र लिख चुके थे कि उत्तराखंड में धर्म संसद जैसे आयोजन होंगे।

- Nayantara Sehgal Letter पत्र में मुख्यमंत्री से राज्य में आगे ऐसे किसी भी आयोजन पर तत्काल रोक लगाने, ऐसे मामलों में जमानत न देने और उसे रद्द करने, इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों को तत्काल गिरफ्तार करने, ऐसे मामलों पर रोक लगाने के लिए एक जिम्मेदार नोडल अधिकारी तैनात करने का अनुरोध भी किया गया।
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