One Nation One Election में कोई जल्दबाज़ी नहीं

One Nation One Election संपूर्ण देश में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में संविधान (129 वां संशोधन) विधेयक 2024 और केंद्र शासित प्रदेश कानून(संशोधन) विधेयक 2024 पर फीडबैक लेने के लिए संयुक्त संसदीय समिति की बैठक का सिलसिला 21 मई को शुरू हुआ था। समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी ने बताया कि समिति ने अभी तक महाराष्ट्र और उत्तराखंड राज्य से एक देश एक चुनाव पर फीडबैक लिया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1967 तक लोकसभा व विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होते थे। मगर इसके बाद सर्कल बिगड़ गया। वर्ष 1994 से एक साथ चुनाव के लिए कोशिशें हुईं थीं, लेकिन यह परवान नहीं चढ़ पाईं। उन्होंने कहा कि इस वक्त फिर से चुनाव व्यवस्था में आमूलचूल परिवर्तन के लिए यह कवायद की जा रही है।

कोई टाइमलाइन नहीं, जल्दबाजी में काम नहीं One Nation One Election


संयुक्त संसदीय समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि रिपोर्ट तैयार करने के मामले में समिति के सामने कोई टाइमलाइन फिक्स नहीं है। समिति किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। यह काम देश हित से जुड़ा अत्यंत महत्व का है, इसलिए ठोस काम करने पर जोर है। समिति पूरे देश में सभी राज्यों तक पहुंचेगी।

तो होगा पांच लाख करोड़ का देश को लाभ

समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि यदि एक साथ चुनाव होने शुरू हो गए तो, अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ का लाभ पहुंचेगा। यह जीडीपी का 1.6 फीसदी होगा। उन्होंने सवाल किया, आज भी कई चुनाव एक साथ होते हैं, तो क्या यह गलत है। उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान चार करोड 85 लाख श्रमिक देश में इधर से उधर आते-जाते हैं। इससे उद्योगों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि मौसम भी चुनाव को प्रभावित करने वाला प्रमुख कारक है।

अप्रैल-मई में एक साथ चुनाव कराने पर जोर

संयुक्त संसदीय समिति का मानना है कि पूरे देश में पिछले कई वर्षों से लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में कराए जा रहे है। एक सर्कल फिक्स सा हो गया है। एक साथ चुनाव के संबंध मेें बहुत सी बातें बाद में निर्धारित होनी है, लेकिन यह सुझाव उपयुक्त माना जा रहा है कि अप्रैल-मई का समय एक साथ चुनाव कराने के लिए सही रहेगा।


हर तकनीकी दिक्कत का निकलेगा समाधान

समिति के अध्यक्ष पीपी चौधरी का कहना है कि लोकतंत्र में सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है। ऐसे में एक साथ चुनाव के विपक्ष में भी यदि कोई तर्क रख रहा है, तो उसे समिति सुन रही है। उन्होंने कहा कि समिति में जितने भी सदस्य हैं, वे अलग-अलग राजनीतिक दल से हैं। उनकी दलीय प्रतिबद्धता हैं। संसद के भीतर उनकी जो भी भूमिका हो, लेकिन एक समिति के सदस्य के रूप में सब संसदीय परंपराओं के अनुरूप कार्य कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर तकनीकी दिक्कत का समाधान निकल जाएगा।