Panchakarma Treatment अगर आप उत्तराखंड आ रहे हैं तो पर्यटन के साथ साथ योग , पंचकर्म थेरेपी और विशेष स्पा एरोमा थेरेपी का भी फायदा ले सकते हैं। आज आधुनिक युग में कई तरह के ट्रीटमेंट लोग लेते हैं लेकिन पंचकर्म विधियां पुरानी होने के साथ- साथ बहुत फायदेमंद भी होती हैं. ऋषि मुनियों के जमाने की यह विधि भारत ही नहीं विदेशों में रहने वाले एनआरआई और विदेशियों को भा रही है. उत्तराखंड की राजधानी ऋषिकेश में स्थित एक सेंटर के आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि उनके सेंटर में साल में 100 से 150 विदेशी और एनआरआई पंचकर्म ट्रीटमेंट लेने के लिए आते हैं.जिसका फायदा लोगों को बेहद सुकून दे रहा है।
विदेशी भी अपना रहे पंचकर्म चिकित्सा पद्धति Panchakarma Treatment,

पंचकर्म आयुर्वेद की बहुत पुरानी चिकित्सा विधियों में से एक है. पंचकर्म को आयुर्वेद की विशेष चिकित्सा भी माना जाता है. आयुर्वेद की इस विधि से शरीर में होने वाले कई तरह के रोगों का इलाज किया जाता है. पंचकर्म विधि में पांच विधियां होती हैं, जिनके द्वारा शरीर में उत्पन्न होने वाले टॉक्सिन को बाहर निकाला जाता है. यह आयुर्वेद की एक नेचुरल प्रक्रिया है, जिसमें शरीर में प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले टॉक्सिन को बाहर निकाला जाता है.

पंचकर्म की पांच क्रिया

वहीं एक पद्धति नस्य कर्म से नाक के द्वारा मरीजों में आयुर्वेदिक दवाओं का प्रवेश कराया जाता है. ब्लड प्रेशर और हृदय रोग से जुड़े मरीजों को पंचकर्म नहीं करवाया जा सकता है. उनका कहना है कि जिस तरह आयुर्वेदिक और एलोपैथिक दवाइयां द्वारा इलाज करवाया जाता है, इस तरह वह भाप या तेल के माध्यम से बाहरी तौर पर इस्तेमाल करके स्किन और हेयर का ट्रीटमेंट करते हैं, जिससे अच्छे परिणाम मिलते हैं.
आयुर्वेदाचार्य बताते हैं कि पंचकर्म के मेडिसिनल फायदे को देखते हुए वैश्विक तौर पर उसे अपनाया जा रहा है. उत्तराखंड के ऋषिकेश और हरिद्वार ऐसे स्थान हैं, जहां हर साल सैकड़ों की संख्या में एनआरआई और विदेशी पंचकर्म विधि द्वारा इलाज करवाने के लिए आते हैं. हमारे क्लीनिक में हर साल 100 से 150 ऐसे लोग विदेश से यहां इस ट्रीटमेंट के लिए आते हैं. जिसका परामर्श शुल्क 300 रुपये है और बीमारी और उसके इलाज के मुताबिक कम से कम दरों पर इलाज किया जाता है.
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