Pradeep Purohit on PM Modi आजकल देश में औरंगजेब की कब्र पर सियासत हो रही है। महाराष्ट्र में चुनाव करीब है ऐसे में सदन भाजपा सांसद ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को छत्रपति शिवाजी महाराज से जोड़कर ऐसा बयान दिया है जिसके बाद सदन में विपक्ष ने जमकर हंगामा काटा। विपक्ष के हंगामा काटने के कारण सभापति ने भाजपा सांसद के बयान को सदन की कार्यवाही से निकालने का आदेश दे दिया
पीएम मोदी वास्तव में छत्रपति शिवाजी महाराज हैं Pradeep Purohit on PM Modi
दरअसल मंगलवार को सदन में प्रधानमंत्री अपना वक्तव्य दे रहे थे। अपना वक्तव्य खत्म करने के बाद जैसे वो बैठे, इतने में ओडिसा के बारगढ़ से भाजपा सांसद प्रदीप पुरोहित ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पिछले जन्म में छत्रपति शिवाजी महाराज थे। बीजेपी सांसद ने शिवाजी महाराज को लेकर ऐसा बयान दिया कि उस पर विवाद शुरू हो गया. सांसद के इस बयान पर संसद से लेकर सोशल मीडिया तक बवाल मच गया. लोकसभा में बोलते हुए बीजेपी सांसद ने कहा उनकी एक संत से मुलाकात हुई थी. उन्होंने कहा कि संत ने कथित तौर पर उनसे कहा कि पीएम मोदी अपने पिछले जन्म में छत्रपति शिवाजी महाराज थे. प्रदीप पुरोहित ने आगे कहा कि पीएम मोदी वास्तव में छत्रपति शिवाजी महाराज हैं, जिन्होंने महाराष्ट्र समेत पूरे देश को विकास और प्रगति की तरफ ले जाने के लिए पुनर्जन्म लिया है.
बीजेपी के सांसद के बयान का संसद में विरोध
बीजेपी सांसद के इस बयान का कांग्रेस समेत विपक्ष के कई सदस्यों ने विरोध जताया, जिसके बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आसन से आग्रह किया कि अगर इस टिप्पणी से किसी की भावनाएं आहत हुई हों तो इसे सदन की कार्यवाही से हटाने के बारे में विचार किया जाए. चेयर पर बैठे दिलीप सैकिया ने निर्देश दिया कि प्रदीप पुरोहित की बातों की जांच करके उसे सदन की कार्यवाही से हटाने की प्रक्रिया की जाए.
कांग्रेस ने बताया छत्रपति शिवाजी का अपमान
कांग्रेस सांसद वर्षा गायकवाड़ ने प्रदीप पुरोहित के बयान की आलोचना करते हुए X पर पोस्ट किया, ‘इन लोगों ने छत्रपति शिवाजी महाराज का सम्माननीय मुकुट नरेंद्र मोदी के सिर पर रखकर शिवाजी महाराज का घोर अपमान किया है. सोशल मीडिया यूजर्स भी बीजेपी सांसद प्रदीप पुरोहित के बयान की निंदा कर रहे हैं. उनका कहना है कि ये छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान है. एक यूजर ने लिखा, ‘शिवाजी महाराज स्वराज्य के संस्थापक थे, न कि किसी पार्टी के प्रतीक. उनके शौर्य, बलिदान और विचारधारा को राजनीति से जोड़ना क्या उनकी महानता को सीमित करना नहीं?’