RSS ON NITIN GADKARI भारतीय राजनीती में बड़ी खबर आ रही है जहाँ संघ का भाजपा के बड़े मंत्री पर नाराज़गी की बात कही जा रही है। भाजपा के सूत्रों का कहना है कि नितिन गडकरी को भाजपा की शीर्ष निर्णायक संस्था संसदीय बोर्ड से हटाने पर संघ भी सहमत था। फैसला लेने से पहले भाजपा की लीडरशिप ने संघ नेतृत्व से बात की थी। जिसके बाद ही उन्हें बाहर किया गया है।
RSS ON NITIN GADKARI नितिन गडकरी की जाएगी कुर्सी

- RSS ON NITIN GADKARI नितिन गडकरी को पिछले सप्ताह जब भाजपा के संसदीय बोर्ड से हटाया गया तो यह चौंकाने वाली बात थी। इसकी काफी चर्चा हुई थी और राजनीतिक पंडित भी इस बात को समझने की कोशिश में जुटे थे कि आखिर संघ के करीबी होने के बाद भी नितिन गडकरी के पर क्यों कतरे गए। भाजपा सूत्रों का कहना है कि नितिन गडकरी को भाजपा की शीर्ष निर्णायक संस्था से हटाने पर संघ भी सहमत था। फैसला लेने से पहले भाजपा की लीडरशिप ने संघ नेतृत्व से बात की थी और उसकी ओर से भी सहमति जताई गई थी। भाजपा और संघ के नेताओं का गडकरी को लेकर मानना है कि वह अपनी बेबाक बोलने की छवि में कैद होते दिखे हैं। पार्टी लीडरशिप को कई चीजें नागवार गुजरती रही हैं, लेकिन इसके बाद भी वह चुभने वाले बयान देते रहे हैं।
RSS ON NITIN GADKARI संघ ने गडकरी के बयानों को माना अनुशासनहीनता

- RSS ON NITIN GADKARI उनकी बेबाक टिप्पणियों को भाजपा नेतृत्व के अलावा संघ ने भी अनुशासनहीनता के तौर पर लिया है। संघ के नेताओं का भी मानना है कि यदि संगठन के कुछ नियम हैं तो फिर उन्हें सभी पर समान रूप से लागू किया जाना चाहिए। भाजपा के एक नेता ने कहा, ‘नितिन गडकरी अपनी स्वायत्त छवि पेश करने की कोशिश करते रहे हैं। वह खुद को ऐसे दिखाते हैं, जैसे उन पर पार्टी के नियम लागू नहीं होते हैं।’ इसी के चलते भाजपा और संघ की लीडरशिप की इस बात पर सहमति है कि भले ही किसी नेता का बहुत बड़ा कद हो, लेकिन उसे संगठन में अनुशासनहीनता की छूट नहीं दी जा सकती।

RSS ON NITIN GADKARI नहीं माने तो अभी और ऐक्शन संभव है
- RSS ON NITIN GADKARI यही नहीं भाजपा और संघ लीडरशिप का मानना है कि यदि नितिन गडकरी अपनी बेबाक बयानों का सिलसिला खत्म नहीं करते हैं तो उन्हें और ऐक्शन झेलना पड़ सकता है। साफ है कि उनके खिलाफ और कार्रवाई हो सकती है यानी भविष्य में नितिन गडकरी को मंत्री पद भी गंवाना पड़ सकता है। पार्टी के एक सूत्र ने कहा कि नितिन गडकरी सार्वजनिक तौर पर ही चुभने वाले बयान नहीं देते बल्कि निजी व्यवहार में भी अलग लाइन पर चले जाते हैं। यही नहीं कहा यह भी जा रहा है कि नितिन गडकरी के बयानों को संघ की सहमति से की गई टिप्पणी के तौर पर मीडिया में पेश किया जाता था। यह बात संघ नेतृत्व को नागवार गुजरी है।
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