Rukmini Ashtami रुक्मिणी अष्टमी का व्रत आज 4 जनवरी को मनाया जा रहा है। हिन्दू धर्म के अनुसार रुक्मिणी अष्टमी पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। इस दिन रुकमणी ने मां लक्ष्मी के रूप में जन्म लिया था। चलिए जानते हैं कि इस दिन कौन से खास उपाय करने से आप पर मां लक्ष्मी की कृपा हो सकती है।
माँ लक्ष्मी के रूप में लिया था जन्म Rukmini Ashtami
रुक्मिणी अष्टमी पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को मनाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि रुक्मिणी का जन्म पौष मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को हुआ था। भगवान विष्णु ने कृष्ण के रूप में जब जन्म लिया था। तब लक्ष्मी जी ने रुक्मिणी और राधा जी के रूप में जन्म लिया था। रुक्मिणी जी के रूप में लक्ष्मी जी का जन्म इसी तिथि में हुआ था।
रुक्मिणी अष्टमी व्रत से होती है धन धान्य की वृद्धि
ऐसा माना जाता है कि इस दिन यानि रुक्मिणी अष्टमी के दिन व्रत रखने से उनके धन-धान्य में वृद्धि होगी। रुक्मिणी अष्टमी पर महिलाएं प्रातः काल ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके भगवान सत्यनारायण, पीपल के वृक्ष और तुलसी के पौधे को जल अर्पण करना चाहिए।इस दिन स्त्रियां सायंकाल गाय के घी का दीपक जलती हैं। कपूर से आरती करती हैं और पूजा आरती के बाद फलाहार ग्रहण करती हैं। रात जागरण करती हैं रुक्मिणी जी की कहानी का श्रवण करती हैं। कृष्णा जी के मंत्रों का पाठ कर अगले दिन नवमी को ब्राह्मणों को भोजन करा करके व्रत पूर्ण किया जाना चाहिए। उसके बाद स्वयं भोजन करना चाहिए।
जीवन के सभी सुख होते हैं प्राप्त
1. धन प्राप्ति का मंत्र- गोवल्लभाय स्वाहा
2. गृह क्लेश दूर करने का मंत्र- कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने। प्रणतक्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नम
3. लव मैरिज- क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा’
4. धन वापस दिलाने वाला मंत्र- कृं कृष्णाय नमः
5. वाणी में मधुरता लाने वाला मंत्र- ऐं क्लीं कृष्णाय ह्रीं गोविंदाय श्रीं गोपीजनवल्लभाय स्वाहा ह्र्सो
6. विद्या प्राप्ति मंत्र- ॐ कृष्ण कृष्ण महाकृष्ण सर्वज्ञ त्वं प्रसीद मे। रमारमण विद्येश विद्यामाशु प्रयच्छ मे॥
7. द्वापर युग में गोपियों ने किया था इस मंत्र का जाप- कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरू ते नम:।।
8. इच्छा पूर्ति मंत्र- ‘गोकुल नाथाय नमः।
9. समस्त बाधा दूर करने वाला मंत्र- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री’।
10. स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति का मंत्र- लीलादंड गोपीजनसंसक्तदोर्दण्ड बालरूप मेघश्याम भगवन विष्णो स्वाहा।
रुक्मिणी अष्टमी के दिन भगवान श्री कृष्ण के साथ देवी रुक्मणी की पूजा करने से जीवन के सभी सुख प्राप्त होते हैं। रुक्मिणी अष्टमी मंत्र अलग अलग मनोरथ के लिए यहाँ दिए गए हैं जिसमें ख़ास है लव मैरिज के लिए पढ़ा जाने वाला मन्त्र
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