S-400 Sudarshan Chakra 7-8 मई की देर रात पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों पर मिसाइल और ड्रोन हमले की कोशिश की, लेकिन भारत की S-400 वायु रक्षा प्रणाली ने इसे पूरी तरह नाकाम कर दिया. इस प्रणाली को ‘सुदर्शन चक्र’ के नाम से जाना जाता है, जो हमारे पौराणिक शस्त्र ‘सुदर्शन चक्र’ से प्रेरित है.S-400 एयर डिफेंस सिस्टम विश्व की सबसे उन्नत और लंबी दूरी तक मार करने वाली वायु रक्षा प्रणालियों में शुमार है. भारत में इसे ‘सुदर्शन’ नाम दिया गया है. यह नाम भगवान विष्णु एवं उनके मनुष्यवतार श्रीकृष्ण के पौराणिक शस्त्र ‘सुदर्शन चक्र’ से लिया गया है. आइए जानते हैं इस दिव्यास्त्र की कहानी-
पुराणों में उल्लेख है कि ‘सुदर्शन चक्र’ सर्वोच्च दिव्यास्त्र है. तमिल भाषा में इसे ‘चक्रत्तालवार’ और थाईलैंड में ‘चक्री वंश’ के नाम से जाना जाता है. मान्यताएं हैं कि सुदर्शन चक्र भगवान श्रीहरि विष्णु को शिवजी से प्राप्त हुआ था. लाखों-करोड़ों वर्षों से यह दिव्यास्त्र भगवान श्रीहरि विष्णु के अवतारों के पास घूमता रहा है. भगवान ने जब द्वापर युग में श्रीकृष्ण के रूप में मनुष्यवतार धारण किया, तो सुदर्शन चक्र उन्हें अग्निदेव के कहने पर वरुणदेव ने प्रदान किया. यह कथा विश्व के सबसे बड़े महाकाव्य महाभारत में बतलाई गई है. श्रीकृष्ण और अर्जुन ने खांडव वन जलाने में अग्निदेव की मदद की थी, तब श्रीकृष्ण ने कौमुदकी गदा और चक्र का प्रयोग किया था.
शास्त्रों में सुदर्शन चक्र गोल, तीक्ष्ण और नुकीले कांटों से युक्त बताया गया है. इसके किनारे दो पंक्तियों में विपरीत दिशाओं में घूमते हैं. इसे इच्छाशक्ति से चलाया जाता था, और यह शत्रु को पहचानकर नष्ट करता था. S-400 को ‘सुदर्शन’ नाम इसकी अचूकता और शक्ति के कारण मिला, जो पौराणिक सुदर्शन चक्र की तरह दुश्मनों को भयभीत करता है. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में इसने भारत की रक्षा-ताकत को साबित किया.