Secret Of Deoghar Jyotirling : इस मंदिर में श्रद्धालुओं को क्यों आता है गुस्सा : मुरादें भूल जाते हैं 1 Positive World

Special Story By : Anita Tiwari , Uttarakhand

Secret Of Deoghar Jyotirling  बाबा बैद्यनाथ धाम के कई बड़े रहस्य हैं। यह रहस्य इतने गहरे हैं कि आज तक इसका पता नहीं चल पाया है। भक्त अपने घर से मंदिर के लिए निकलते वक्त मुरादें मन में लेकर आते हैं। शिवलिंग को छूते ही वो अपनी मुरादें भूल जाते हैं। मंदिर के अंदर गुस्सा और बिना बात के झुंझलाहट होने लगती है। बाबा बैद्यनाथ खुद भक्तों की परीक्षा लेते हैं। जो इसमें पास हो जाता है उसकी मनोकामना पूरी होती है। आइए जानते हैं बाबा के दरबार में इस बड़े रहस्य का कारण क्या है।

Secret Of Deoghar Jyotirling  बाबा को स्पर्श कर मुराद मांगने की प्रथा

Secret Of Deoghar Jyotirling
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Secret Of Deoghar Jyotirling  द्वादश ज्योतिर्लिंग में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग ऐसा है, जहां माता सती के हृदय में बाबा विराजमान है। मां के हृदय पर बाबा के विराजमान होने से इस ज्योतिर्लिंग को हृदयापीठ कहा जाता है। यह ज्योतिर्लिंग मनोकामना लिंग के नाम से प्रख्यात है। पुराणों में इसका जिक्र है कि मां सती का हृदय देवघर में ही गिरा था, रावण जब शिवलिंग लेकर लंका जा रहा था तो देवताओं की चाल से उसे शिवलिंग उसी स्थान पर रखना पड़ा जहां माता का हृदय गिरा था। बाद में रावण ने शिवलिंग को उठाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह हिला तक नहीं।

Secret Of Deoghar Jyotirling
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  • Secret Of Deoghar Jyotirling रावण देवताओं की इस चाल पर काफी क्रोधित हुआ और शिवलिंग को पाताल में पहुंचाने के उद्देश्य से हाथ के अंगूठे से दबा दिया। इस कारण से शिव लिंग धरती के सतह से थोड़ा अंदर चला गया है। रावण के बाद देवताओं ने भी शिवलिंग की उपासना की जिसके बाद भगवान शिव ने वरदान दिया था कि इसकी पूजा करने वालों की हर मनोकामना पूरी होगी। इसके बाद बाबा धाम मनोकामना ज्यातिर्लिंग से प्रख्यात हो गया। मान्यता है कि गर्भ गृह में बाबा को स्पर्श कर मुराद मांगने वाले की मनोकामना हर हाल में पूरी होती है।

Secret Of Deoghar Jyotirling  न भटका तो भूल जाती है कामना

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  • Secret Of Deoghar Jyotirling पंडा धर्मरक्षिणी सभा के मुताबिक बाबा के दरबार में आकर मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। देरी हो सकती है, लेकिन मुराद खाली नहीं जाती है। बाबा लोगों की परीक्षा भी खूब लेते हैं। वह मंदिर के बाहर बाबा से मुराद मांगते रहता है, लेकिन जब मंदिर के अंदर गर्भ गृह में पहुंचता है और बाबा को स्पर्श कर मुराद मांगने की बारी आती है तो वह मनोकामना ही भूल जाता है। आखिर जो इंसान बाबा के दर्शन के दौरान लगातार मन्नत सोचता रहता है, वह गर्भ गृह में आकर बाबा को स्पर्श करते क्यों भूल जाता है। पंडा और देवघर के पुजारियों का कहना है कि यह सब बाबा की माया है।

    Secret Of Deoghar Jyotirling
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  • Secret Of Deoghar Jyotirling पंडा समाज का कहना है कि चूंकि रावण शिवलिंग को स्थापित करने के दौरान क्रोधित हुआ था और भगवान शंकर पर काफी झुंझलाया था। इस कारण से गर्भ गृह में आज भी वह असर भक्तों और श्रद्धालुओं में दिखाई पड़ता है। मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश के दौरान भक्तों को उलझन और झुंझलाहट महसूस होती है। पंडा समाज के लोग इसके पीछे रावण के आक्रोश को ही बड़ा कारण बताते हुए एक रहस्य मानते हैं।

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