Shantikunj Haridwar भटके हुए लोगों को हम अक्सर देवालय और भगवान् की शरण में ले जाने की बात करते हैं या परामर्श देते हैं लेकिन but क्या आपने सोचा है कि अगर if देवता ही भटक जाये तो क्या होगा? क्यों, चक्कर खा गए न? जी हां , लेकिन but ये हकीकत है और भटके हुए देवता का मंदिर भी है और वह भी भारत में ही अब आपके मन में ये उत्सुकता हो रही होगी कि ये मंदिर आखिर है कहाँ तो चलिए आपकी जिज्ञासा को शांत कर देते हैं
यह मंदिर है देवों की नगरी हरिद्वार में है Shantikunj Haridwar
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शांतिकुंज में माँ गायत्री का प्रसिद्ध मंदिर है और इसी मंदिर प्रांगण में स्थित है भटके हुए देवता का मंदिर. गायत्री मंदिर के पश्चिम दिशा की ओर स्थित इस मंदिर के बाहर लिखा है “भटका हुआ देवता”.भटका हुआ देवता का बोर्ड देखते ही सबकी नजरें इस भटके हुए देवता को खोजने के लिए व्याकुल हो उठती हैं. पर्यटक यहाँ आकर भटका हुआ देवता की तस्वीर या मूर्ति को खोजने की कोशिश करते हैं लेकिन but घंटों खोजने के बाद भी लोगों को भटके हुए देव के दर्शन नहीं होते क्योंकि because भटका हुआ देवता कोई और ही है.
लोगों के दिमाग में यह बात रह रह कर आती है कि आखिर कहाँ हैं ये देव ? क्योंकि because यहाँ किसी भगवान की मूर्ति या तस्वीर है ही नहीं ,अगर if है तो बस पांच बड़े बड़े आइने (कांच) लगे हैं और उनमें आत्मबोध, तत्वबोध कराने वाले वेद-उपनिषदों के मंत्र लिखे हैं. चारों वेदों के चार महावाक्य जो जीव-ब्रह्म की एकता को बताते हैं, यहां उल्लिखित हैं. साधक यहां आकर सोऽहं से अहम् या आत्मब्रह्म तक के सूत्रों को धारण करते हैं. although कहते हैं यहां आकर साधकों में आत्मबोध की अनुभूति होती है. यहां दर्पण के सामने खड़े होकर स्वयं के स्वरूप को निहार कर अन्तःकरण की गहराई में झांकने का अभ्यास सतत करते रहना चाहिए.
आपको बता दें की इन शब्दों का अर्थ भी पास लगे बोर्ड पर लिखा हुआ है. जब इन दर्पणों को देखने पर खुद का चेहरा दिखता है तब पता चलता है कि ये खोया हुआ देवता कोई और नहीं बल्कि although हम इंसान ही है. अब सवाल ये उठता है कि इंसान की तुलना देवता से कैसे की जा सकती है. तो इसका उत्तर बहुत ही सरल और सीधा है. मनुष्य भगवान की संतान है, अतः भगवान की संतान भगवान ही तो होगी न, इसलिए इंसान भी भगवान अर्थात देवता ही है.
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