Side Effect of Smartphones अगर आप स्मार्टफोन का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं तो सावधान हो जाएं. क्यों कि स्मार्टफोने के तीन घंटे से ज्यादा इस्तेमाल करने से आपको कई तरह की बीमारियां होना का खतरा है. ये बात ब्राजील में हुए एक शोध में कही गई है. वैसे भी स्मार्टफोन या कंप्यूटर का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल कभी भी सही नहीं माना गया है. यही नहीं एक सीमा से अधिक स्क्रीन का इस्तेमाल किसी भी उम्र के लोगों के लिए खतरे से खाली नहीं है.
Side Effect of Smartphones 3 घंटे से ज्यादा मोबाइल यूज़ करना है जानलेवा

- Side Effect of Smartphones ये बात अलग है कि कोरोना महामारी के बाद डिजिटल तकनीकी में बड़े पैमाने पर बदलाव आया है और हम सब अपने स्मार्टफोन, कंप्यूटर या अन्य उपकरणों पर ज्यादा निर्भर हुए हैं. स्कूल हो या दफ्तर का काम ज्यादातर स्मार्ट उपकरणों के उपयोग के आसपास ही केंद्रित रहे हैं. जिसका बुरा असर हम सबके सामने है. ब्राजील में हुए शोध में बताया गया है कि जरूरत से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल हमें कई बीमारियों का शिकार बना सकता है. स्क्रीन के संपर्क में रहने से हम खराब पॉस्चर में बैठते हैं, जिस वजह से पीठ में तेज दर्द की समस्या समेत और भी कई स्वास्थ्य समस्याएं होने की खतरा बढ़ गया है.

Side Effect of Smartphones 3 घंटे से ज्यादा मोबाइल यूज़ करना है जानलेवा Side Effect of Smartphones ब्राजील में हुए एक शोध में शामिल शोधकर्ताओं के एक समूह ने पाया कि जो लोग तीन घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते थे उन्हें रीढ़ की हड्डी में परेशानी का सामना करना पड़ा. जिसमें पेट के बल बैठना या लेटना और हर दिन तीन घंटे से अधिक समय तक स्क्रीन का उपयोग करना शामिल है. साइंटिफिक जर्नल में छपी एक रिपोर्ट में के मुताबिक, एक दिन में 3 घंटे से ज्यादा स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से टीनएजर्स को पीठ दर्द या खराब पॉस्चर की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
थेरैसिक स्पाइन पेन पर केंद्रित है ये शोध Side Effect of Smartphones बता दें कि ये शोध थेरैसिक स्पाइन पेन पर कंद्रित था. थोरैसिक रीढ़ छाती के पीछे स्थित होती है जो कि कंधे के ब्लेड के बीच और गर्दन के नीचे से कमर तक फैली होई है. इस शोध में हाई स्कूल के पहले और दूसरे वर्ष के 14 से 18 साल के छात्र-छात्राओं को शामिल किया गया. इसमें 1628 छात्रों ने हिस्सा लिया. शोध में पता चला है कि थोरैसिक स्पाइन पेन से लड़कों के मुकाबले लड़कियां ज्यादा प्रभावित हुई.
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