Sleeping while sitting स्कूल में अक्सर आपको अध्यापकों ने हेड डाउन करने को कहा होगा और ऐसा करने पर आपको कब नींद आ गई होगी, शायद पता भी ना चला हो। उसी आदत को आज हम अपने कामकाज तक लेकर आ गए हैं। यानी अक्सर लोग अपने डेस्क पर ही काम करते – करते एक नींद की झपकी ले लेते हैं। अगर आप ऐसा करते हैं तो आपने पाया होगा कि इससे आपकी कमर में दर्द, और गर्दन या कंधों में अकड़न आ गई है। अगर ऐसा हुआ है इसके पीछे की वजह है आपका घंटों तक सिस्टम पर बैठकर काम करना है।
झपकी लेने के बाद क्या होता है Sleeping while sitting

हमारे वर्क स्पेस में काम करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चेयर भले ही कितनी ही आरामदायक क्यों ना हो। लेकिन इन पर घंटों तक बिना हिले डुले रहना या सो जाना हमारे लिए कई तरह की दिक्कत पैदा कर सकता है। इसकी वजह से ना केवल बॉडी पोस्चर खराब होता है।बल्कि शरीर के जोड़ों में अकड़न आने लगती है। इस स्थिति में शरीर को इन समस्याओं से बचाने के लिए स्ट्रेचिंग करना एक सबसे बेहतर विकल्प हो सकता है। इसके अलावा लेट कर भी शरीर को आराम दे सकते हैं। वहीं अगर आप बैठे – बैठे ही सो जाते हैं, तो इससे शरीर में रक्त संचार भी बाधित हो सकता है। जिसकी वजह से कई अन्य समस्याएं भी पैदा हो सकती हैं।

सोफे पर झपकी आ जाती है तो जान लें कि इसके बाद असल में होता क्या है. दरअसल बिस्तर पर जाने से पहले आपने यदि सोफे पर झपकी ले ली है, तो आपकी नींद का दबाव आपकी झपकी से पहले की तुलना में बहुत कम होने हो जाता है. 16 घंटे से अधिक जागने के बजाय, एक प्रकार से आप अभी-अभी तो उठे हैं. आपकी बॉडी इसके लिए तैयार नहीं थी ऐसा हो सकता है. और यही वजह है कि इसी लिए नींद का दबाव कम होता है. यदि आप बस पांच मिनट के लिए सोफे पर सो गए तो आपको बिस्तर पर सोने में बहुत अधिक परेशानी नहीं होगी लेकिन इतनी कम झपकी से आपकी नींद का दबाव बहुत कम होने की संभावना नहीं है. हालांकि अगर आप एक घंटे तक सोए रहे, तो यह एक अलग कहानी हो सकती है.

अगर आप घंटों तक अपने डेस्क पर ही बैठे रहते हैं तो इसकी वजह से आपको न केवल शरीर में अकड़न हो सकती है। बल्कि इसके कारण डीप वेन थ्रोम्बोसिस की समस्या भी पैदा हो सकती है। आपको बता दें कि इस समस्या में शरीर में कहीं किसी एक नस के भीतर रक्त का थक्का बन जाता है। आमतौर पर यह पैर या जांघ में होता है। यह होने की संभावना तभी होती है जब आप घंटों तक या सिस्टम पर बैठे रहते हैं या सोने लगते हैं। इस स्थिति को अगर बिना उपचार के छोड़ दिया जाए तो यह कई बार लोगों की मृत्यु तक का कारण बन जाती है।
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