snowfall uttarakhand ड्राई कोल्ड , बर्फ़बारी के बनते बिगड़ते आसार और सैलानी स्नोफॉल से लाचार, नए साल पर मायूस लौटे टूरिस्ट क्योंकि मौसम के बदलते पैटर्न से इस साल विंटर बारिश न होने की वजह से बर्फबारी नहीं हुई है। बीते दो दिनों से विंड चिल इफेक्ट के सक्रिय होने से ठिठुरन बढ़ गई है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले कुछ दिनों तक भी बारिश-बर्फबारी के आसार नहीं है। ऐसे में पहाड़ों में पाला तो मैदानी इलाकों में घना कोहरा छाने से प्रदेश भर में लोगों को ठंड सताएगी।
अल-नीनो मौसम संबंधी एक जटिल घटना है snowfall uttarakhand

अल-नीनो एक जलवायु संबंधी घटना है, जो पूर्वी प्रशांत महासागर में सतही जल के असामान्य रूप से गर्म होने का प्रतिनिधित्व करती है. भूमध्य रेखा के पास प्रशांत क्षेत्र में पानी के तापमान में बदलाव के कारण अल-नीनो मौसम संबंधी एक जटिल घटना है. बता दें कि अल-नीनो की घटनाएं एक साल तक चल सकती हैं, लेकिन ये अक्सर नौ से दस महीने तक चलती हैं.
अल नीनो ने बिगाड़ा पहाड़ का मौसम
इस बदलते हुए मौसम के बारे में गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि विश्वविद्यालय पन्तनगर के मौसम विभाग के हेड और मौसम वैज्ञानिक डॉ. आर.के सिंह ने बताया कि इस अल नीनो के प्रभाव में भूमध्य सागर का तापमान बढ़ने के कारण पश्चिमी विक्षोभ नहीं बन रहे हैं. पश्चिमी विक्षोभ चलने से उष्णकटिबंधीय तूफान की हवा ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से होते हुए भारतीय उपमहाद्वीप में प्रवेश करती है. इसकी वजह से नवंबर से फरवरी तक पहाड़ी क्षेत्र में वर्षा और बर्फबारी होती है.

मौसम में होता है यह बदलाव
उन्होंने बताया कि इन चार महीनों के दौरान हर महीने औसतन 4 से 5 पश्चिमी विक्षोभ बनते हैं. इससे पहाड़ी राज्यों उत्तराखंड, कश्मीर, हिमाचल में बर्फबारी और बारिश होती है. इससे पहाड़ी राज्यों में दिन और रात के तापमान में गिरावट होती है. हालांकि, अल नीनो के कारण पश्चिमी विक्षोभ नहीं बन रहे हैं. इसके कारण पहाड़ी राज्यों में बर्फबारी और बारिश का उपयुक्त मौसम नहीं बन पा रहा है, जिसके चलते भी ठंड बढ़ रही है. विंड चिल इफेक्ट का सीधा असर तापमान पर पड़ता है। शीतलहर चलने से बारिश-बर्फबारी जैसी ठंड महसूस होती है। बारिश-बर्फबारी की बात करें तो अगले छह दिन तक बारिश होने की कोई संभावना नहीं है। बारिश होने के बाद ही ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने की संभावना है।