Solar Year क्या आपने कभी सोचा है कि एक साल में 365 दिन ही क्यों होते हैं? क्या यह संख्या 364 या 366 क्यों नहीं हो सकती? इस सवाल का जवाब हमारे ग्रह पृथ्वी और सूर्य के बीच के गहरे संबंध में छिपा है. आइए जानते हैं कि कैसे पृथ्वी की गति और सूर्य के चारों ओर उसकी परिक्रमा ने हमें 365 दिनों का एक साल दिया.एक साल में 365 दिन होने का कारण पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर परिक्रमा (ऑर्बिट) है. पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में लगभग 365.25 दिन लगते हैं. इस अवधि को सौर वर्ष (Solar Year) कहा जाता है.
Solar Year 365 दिन का रहस्य
चूंकि पृथ्वी को सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में 365.25 दिन लगते हैं, इसलिए हमारे कैलेंडर में एक साल को 365 दिनों में बांटा गया है. हालांकि, यह 0.25 दिन (6 घंटे) हर साल बच जाता है.इस बचे हुए समय को संतुलित करने के लिए हर चार साल में एक लीप वर्ष (Leap Year) जोड़ा जाता है, जिसमें फरवरी महीने में एक अतिरिक्त दिन (29 फरवरी) जोड़ दिया जाता है. इस तरह, लीप वर्ष में 366 दिन होते हैं.
Solar Year: 364 दिन क्यों नहीं?
यदि एक साल में 364 दिन होते, तो हर साल लगभग 1.25 दिन का समय बच जाता. इसका मतलब यह होगा कि कुछ सदियों बाद, मौसम और कैलेंडर के बीच एक बड़ा अंतर हो जाएगा. उदाहरण के लिए, गर्मी का मौसम सर्दी में शुरू होने लगेगा.दूसरी ओर, यदि हर साल 366 दिन होते, तो समय की गणना में अतिरिक्त दिन जुड़ जाता. इससे भी मौसम और कैलेंडर के बीच असंतुलन पैदा हो जाता.
प्राचीन काल से ही मनुष्य ने समय की गणना के लिए सूर्य और चंद्रमा की गति का अध्ययन किया है. रोमन साम्राज्य में, जूलियस सीजर ने जूलियन कैलेंडर की शुरुआत की, जिसमें 365 दिनों का साल और हर चार साल में एक लीप वर्ष शामिल था. बाद में, ग्रेगोरियन कैलेंडर (जिसे आज ही इस्तेमाल करते हैं) में इसे और सटीक बनाया गया. वैज्ञानिकों के अनुसार, यदि पृथ्वी की गति धीमी या तेज हो जाए, तो एक साल की अवधि भी बदल सकती है. उदाहरण के लिए, मंगल ग्रह पर एक साल 687 दिनों का होता है, क्योंकि मंगल को सूर्य का एक चक्कर पूरा करने में इतना समय लगता है.