सिर्फ AI से बना वीडियो, बिना कैमरे या एडिटिंग के Sora App

Sora ऐप की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें यूज़र सिर्फ टेक्स्ट प्रॉम्प्ट के ज़रिए वीडियो बना सकते हैं. न कैमरा चाहिए, न ही वीडियो एडिटिंग का कोई अनुभव. आपको जो वीडियो बनाना है, बस उसकी कल्पना करिए और नैचुरल लैंग्वेज में प्रॉम्प्ट डालिए कुछ ही समय में वीडियो तैयार. यहां दिखाई देने वाला कंटेंट पूरी तरह से AI द्वारा तैयार किया गया होता है, जिसे आज की भाषा में Deepfake वीडियो भी कहा जाता है. Sora ऐप का सबसे पॉपुलर फीचर Cameos है, जिसके ज़रिए यूज़र खुद की मौजूदगी वाले वीडियो को भी AI वीडियो में बदल सकते हैं.
AI और Deepfake: अब सामान्य बात?
Sora ऐप में वीडियो की अधिकतम लंबाई 10 सेकंड तक होगी। OpenAI ने इसमें “Cameo” नामक एक फीचर भी जोड़ा है, जिससे उपयोगकर्ता अपनी AI-जेनरेटेड छवि बना सकते हैं और खुद को AI द्वारा निर्मित दृश्यों में शामिल कर सकते हैं। Sora ऐप के कारण डीपफेक वीडियोज की बाढ़ आ सकती है और बड़े स्तर पर इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है।

मिसयूज़ की आशंका, लेकिन दावे सुरक्षा के भी
Sora ऐप की एक बड़ी चिंता इसका संभावित दुरुपयोग है. चूंकि यह ऐप किसी भी तस्वीर या वीडियो को लेकर असली जैसा दिखने वाला AI वीडियो बना सकता है, इसलिए किसी की पहचान के साथ छेड़छाड़ करना बहुत आसान हो सकता है.OpenAI ने दावा किया है कि ऐप में सख्त सेफ्टी प्रोटोकॉल लागू किए गए हैं. जैसे यौन विषयों या हिंसा से जुड़े प्रॉम्प्ट को रोका जाएगा. लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक कुछ यूज़र अब भी स्मार्ट प्रॉम्प्टिंग के ज़रिए इन पाबंदियों को बाइपास करने में सफल हो रहे हैं.

Meta का Vibe भी कर रहा है मुकाबला
गौरतलब है कि OpenAI से पहले Meta ने भी अपनी AI वीडियो-फीड पेश की थी, जिसे Vibe नाम दिया गया है. Vibe में भी सिर्फ AI जनरेटेड शॉर्ट वीडियोज़ दिखाई देते हैं. ऐसे में Sora ऐप को Vibe का सीधा कॉम्पिटिटर माना जा रहा है. Sora फिलहाल सिर्फ अमेरिकी यूज़र्स के लिए उपलब्ध है, वो भी इनवाइट-ओनली मोड में. भारत में इस ऐप की अभी कोई लॉन्च डेट नहीं दी गई है. मुमकिन है कि कंपनी पहले अमेरिकी मार्केट में इसके रिस्पॉन्स का मूल्यांकन करेगी, उसके बाद ही इसे दूसरे देशों में जारी किया जाएगा.

