Success Story : चाय वाली लड़की “अंजना” !

Success Story दुनिया में चाय वाला नाम एक उपमा बन चुका है व्यक्ति विशेष के अतीत से जुड़ा चायवाला के बाद अब चायवाली सुर्ख़ियों में है। श्रीनगर गढ़वाल की अंजना रावत ने न सिर्फ अपनी कठिन परिस्थितियों का सामना किया, बल्कि अपने संघर्षों के माध्यम से एक नई मिसाल भी स्थापित की। चाय की दुकान चलाकर अपने परिवार का पालन-पोषण करने वाली अंजना ने यह साबित कर दिया कि मेहनत और साहस से कोई भी मुश्किल हालात को पार किया जा सकता है।अंजना के लिए यह जीत सिर्फ एक पार्षद के रूप में नहीं, बल्कि समाज के लिए एक सशक्त संदेश है कि किसी भी मुश्किल समय में खुद को आगे बढ़ने से नहीं रोकना चाहिए। इसके अलावा, उनका शिक्षा की ओर ध्यान रखना और समाज के तानों को नकारते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखना उनके दृढ़ नायकत्व का उदाहरण है।

अंजना चायवाली तीलू रौतेली पुरस्कार से हैं सम्मानित Success Story

लड़कियां आजकल रील्स बनाकर वायरल होना चाहती हैं, जबकि वे यह नहीं समझतीं कि यदि वे सच में सफल हो जाती हैं, तो खुद-ब-खुद वायरल हो जाएंगी। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं अंजना चायवाली अंजना अभावों से भरा जीवन एवं कम उम्र में मिली जिम्मेदारियां व्यक्ति को जो सीख देती हैं उसे जीवन की कोई पाठशाला नहीं दे सकती है। तीलू रौतेली पुरस्कार से अंजना की मेहनत को मान्यता मिलना यह दर्शाता है कि राज्य सरकार उनकी जिंदादिली और संघर्ष को पहचानती है। इस जीत से न केवल अंजना, बल्कि हर उस व्यक्ति को प्रेरणा मिलती है जो अपने जीवन में संघर्ष कर रहा है।


कौन है पार्षद चायवाली अंजना

अभावों एवं जिम्मेदारियों से भरी जीवन की पाठशाला से कुंदन बनकर निकली हैं वीरांगना तीलू रौतेली पुरस्कार से सम्मानित 34 वर्षीय अंजना रावत जिनकी जीत की कहानी अब उत्तराखंड के लिए एक मिसाल बन गयी है। जिनके संघर्षों की कहानी समाज को प्रेरणा दे रही है।साल 2011 में उसके पिताजी जिन्दगी की जंग हार गए। लेकिन अंजना नहीं हारी उसने चाय की दुकान के साथ साथ अपनी पढ़ाई भी जारी रखी।

अंजना रावत की मानें तो शुरुआत में जब लोग चाय पीने के लिए दुकान पर आते थे तो उनमें से कुछ लोग मजाक बनाते थे। इस दौरान कुछ लोग फब्तियां कसते हुए कहते थे कि यह लड़कों वाले काम है। इतने बुरे दिन भी नहीं आए कि लड़की की दुकान पर चाय पीएंगे। लेकिन मैं कभी इन बातों से निराश नहीं हुई और ना ही कभी हिम्मत हारी। बस अपना काम जारी रखी। इसका नतीजा ये हुआ कि जो लोग उस समय मेरा मज़ाक उड़ाते थे आज वही लोग मेरी दुकान पर आकर चाय पीते हैं। समाज शास्त्र में एमए किया, एवं एम एस डब्ल्यू का डिप्लोमा भी हासिल किया।अंजना कम उम्र में पहाड़ सी जिम्मेदारियों को बखूबी संभाल कर अपनी बड़ी बहिन की शादी एवं छोटे भाई को अपने पैरों पर खड़े होने लायक बनाया और आज वो प्रदेश में एक सम्मानित जन प्रतिनिधि बनकर नई पारी के लिए आगे बढ़ गयी हैं।

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