Success Story मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रुद्रप्रयाग जिले के आई आई टी मद्रास में चयनित युवा अतुल से टेलीफोनिक बात करते हुए शाबाशी दी और कहा की सरकार उनके साथ खड़ी है क्योंकि वो एम् मिसाल बन गए हैं उत्तराखंड के लिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि अतुल ने अपनी मेहनत से अन्य लोगों को प्रेरित किया है। उन्होंने कहा सामान्य परिस्थितियों में भी यदि व्यक्ति संकल्प लेकर काम करता है तो उसके सपने जरूर पूरे होते हैं। जीवन में कोई चीज असंभव नहीं है।
अतुल ने प्रत्येक उत्तराखंडी को गौरवान्वित और प्रेरित किया Success Story
आपको बता दें कि रुद्रप्रयाग जिले के अतुल ने केदारनाथ में घोड़े खच्चर चलाकर अपनी पढ़ाई का खर्च निकाला. इसके साथ ही अपनी मेहनत और संघर्ष की बदौलत उनका आई आई टी मद्रास में चयन हुआ है। आपको ये कहानी किताबी भले लगे लेकिन है सौ फ़ीसदी सच्ची और अब ये युवाओं के लिए प्रेरणा बन गयी है जो अभाव को कमज़ोरी मान कर हार जाते हैं।
अतुल कुमार ने कहा कि उनकी एकमात्र प्रेरणा जीवन में आगे बढ़ना और अपने तथा अपने परिवार के लिए कुछ बेहतर करना है। अतुल कुमार, जो अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए केदारनाथ धाम की खड़ी पगडंडियों पर तीर्थयात्रियों को घोड़ों और खच्चरों पर ले जाते थे, उसने आईआईटी-संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेएएम) 2025 उत्तीर्ण कर ली है और आईआईटी मद्रास के लिए चयनित हुए हैं ।
अतुल जो एक घोड़ा पालक के बेटे हैं, जो उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के एक छोटे से गांव से प्रतिष्ठित प्रौद्योगिकी संस्थान तक की अपनी प्रेरणादायक यात्रा के बारे में बताते हुए गर्व महसूस करते हैं । उन्होंने कहा कि उनकी एकमात्र प्रेरणा जीवन में आगे बढ़ना और अपने तथा अपने परिवार के लिए कुछ बेहतर करना है। कुमार ने मीडिया को बताया, “मैं रुद्रप्रयाग के एक छोटे से गाँव से हूँ… मुझे 12वीं तक ज़्यादा जानकारी नहीं थी। पहाड़ी इलाकों में ज़्यादा जागरूकता नहीं है। मुझे नहीं पता था कि आईआईटी जैसी कोई चीज़ भी होती है।”
उन्होंने आगे कहा, “मैंने 12वीं कक्षा पूरी करने के बाद प्रवेश परीक्षा नहीं दी । लेकिन फिर मुझे शिक्षकों से पता चला कि मैं आईआईटी से मास्टर डिग्री हासिल कर सकता हूँ। मेरे शिक्षकों और दोस्तों ने मेरा बहुत साथ दिया और मुझे बहुत प्रेरित किया।” केदारनाथ से लौटने के बाद आईआईटी-जेएएम परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी थी और नोट्स के लिए अपने दोस्त से मदद ली थी। “मैंने जुलाई में पढ़ाई शुरू की। मैं जून में केदारनाथ से लौटा ही था, जहाँ मैं काम कर रहा था। वहाँ नेटवर्क नहीं था और हम तंबुओं में रहते थे, इसलिए पढ़ाई करना संभव नहीं था। मेरे दोस्त महावीर, जिन्होंने पहले से तैयारी कर रखी थी, उसने अपने नोट्स शेयर करके मेरी बहुत मदद की। मैंने जनवरी तक लगातार पढ़ाई की और परीक्षा फरवरी में थी।
आपको बता दें कि उनके पिता घोड़ों की देखभाल का काम करते हैं और यही परिवार की मुख्य आजीविका है। छुट्टियों में कुमार उनकी मदद करते थे। उनकी बड़ी बहन की शादी हो चुकी है और छोटी बहन ने अभी-अभी पढ़ाई पूरी की है। उन्होंने आगे कहा, “प्रतिक्रिया ज़बरदस्त रही। मेरी अपनी खुशी से ज़्यादा, दूसरों के चेहरों की खुशी ने मुझे छुआ—शिक्षकों से लेकर उन लोगों तक जिन्होंने मुझे कभी पढ़ाया तक नहीं, सभी ने मुझे बधाई देने के लिए फ़ोन किया। अपने समुदाय को गौरवान्वित करना अच्छा लगता है।” आज जब खुद सरकार ने बधाई देकर उन्हें राज्य के लिए एक मिसाल बताया है तो निश्चित ही युवाओं को इस उपलब्धि से प्रेरणा मिलेगी
मुख्यमंत्री सख्त – एलिवेटेड सड़क जल्दhttps://shininguttarakhandnews.com/elevated-corridor-project-dehradun/