Transgender Celebration एक रात की दुल्हन, अगले दिन विधवा

Transgender Celebration 2018 में हमारे देश में समलैंगिकता अपराध नहीं रही और यौन अल्पसंख्यकों को पूर्ण नागरिक माना जाने लगा। सितंबर में सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को रद्द कर दिया, जिससे समलैंगिकता अपराध नहीं रही। लेकिन लोगों की मानसिकता में कितना बदलाव आया, यह एक सवाल है। यौन अल्पसंख्यकों, खासकर ट्रांसजेंडर लोगों को अलग-थलग करने की प्रवृत्ति अभी भी समाज में है। ऐसे में तमिलनाडु के विल्लुपुरम में कूवागम और वहाँ के कूथान्डवर मंदिर में 22 अप्रैल से 6 मई तक चलने वाले अनुष्ठान महत्वपूर्ण हो जाते हैं।


अजीबोगरीब रीति-रिवाज, मान्यताएं, मिथक तमिलनाडु के इतिहास का हिस्सा हैं। कुछ हैरान करते हैं, कुछ सोचने पर मजबूर करते हैं। यह भी ऐसा ही एक उत्सव है। ट्रांसजेंडर महिलाओं का, उनके इर्द-गिर्द घूमता एक उत्सव। ट्रांसजेंडर लोगों द्वारा आयोजित देश के सबसे बड़े उत्सवों में से एक। चित्रा पूर्णिमा पर ट्रांस महिलाओं का विवाह इस उत्सव का मुख्य आकर्षण है।

विल्लुपुरम का कूवागम कूथान्डवर मंदिर कई अनोखे रीति-रिवाजों के लिए प्रसिद्ध है। मुख्य कार्यक्रम चित्रा पूर्णिमा को होते हैं, इसलिए इसे चित्रा पूर्णिमा उत्सव भी कहते हैं। वैशाख महीने की पूर्णिमा को चित्रा पूर्णिमा कहते हैं। हिंदू मान्यताओं के अनुसार यह दिन बहुत खास है। तमिल महीने के अनुसार यह दिन चित्तिर महीने में आता है। कूथान्डवर या अरवन इस मंदिर के देवता हैं।


महाभारत और कुरुक्षेत्र युद्ध से जुड़ी एक कथा इस उत्सव का मूल है। कूथान्डवर या बभ्रुवाहन, पांडवों में तीसरे अर्जुन और नागकन्या उलूपी के पुत्र थे। उन्हें इरावन या अरवन भी कहते हैं। महाभारत युद्ध में पांडवों की हार की भविष्यवाणी हुई थी। इसे टालने के लिए भद्रकाली को नरबलि देनी होगी, ऐसा ज्योतिषियों ने कहा।किसी को भी नहीं, बल्कि एक संपूर्ण पुरुष की बलि देनी होगी। कृष्ण, अर्जुन और इरावन ही ऐसे संपूर्ण पुरुष थे।


अर्जुन और कृष्ण को नहीं मारा जा सकता था, इसलिए इरावन ने यह जिम्मेदारी खुशी से ली। उसने कहा कि वह बलिदान के लिए तैयार है, लेकिन पहले वह शादी करना चाहता है। लेकिन जल्द ही मरने वाले इरावन से कोई शादी करने को तैयार नहीं हुई। तब कृष्ण ने मोहिनी रूप धारण कर इरावन से शादी की। अपनी इच्छा पूरी कर इरावन अगले दिन बलिदान हो गया।इरावन की पत्नी बनने और उसकी इच्छा पूरी करने के लिए हर साल ट्रांस महिलाएं कूथान्डवर मंदिर आती हैं। हर ट्रांस महिला इरावन की दुल्हन होती है। चित्रा पूर्णिमा के आसपास 18 दिनों तक उत्सव चलता है। अप्रैल के अंत से मई के शुरू तक चलने वाला यह उत्सव चित्रा पूर्णिमा को खत्म होता है।