Trending News : जींस-टीशर्ट रीलबाज़ी , डांस बैन ,टीचर्स को निर्देश

Trending News आपने आजकल एक नया ट्रेंड देखा होगा जहाँ सरकारी स्कूलों में बच्चे तो ड्रेस में नज़र आ जायेंगे लेकिन अध्यापक कभी कुरता पजामा तो कभी जींस टीशर्ट में पढ़ाने आ जाते हैं। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में भी इसके लिए नियम कायदे बनाये जाते रहे हैं और टीचरों को सलीके वाली ड्रेस में आने की हिदायतें भी दी हैं लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही निकले हैं। लेकिन अब बिहार सरकार ने एक बार फिर सख्त आदेश जारी किया है जो देश भर के स्टाइलबाज़ मास्टरों के लिए एक अलार्म है

कैजुअल ड्रेस में स्कूल आ रहे शिक्षकTrending News

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सरकारी आदर्श की माने तो बिहार के सरकारी स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक अब जींस-टीशर्ट पहनकर स्कूल नहीं आ सकेंगे. इसके साथ ही सरकारी स्कूलों में डीजे, डांस, गाना गाने और रील बनाने पर भी रोक लगाई गई है. इस संबंध में शिक्षा विभाग के डायरेक्टर सह अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने सभी जिलों के शिक्षा पदाधिकारी (DEO) को पत्र लिख कर ड्रेस कोड फॉलो कराने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि शिक्षक क्या पहनकर स्कूल में आ सकते हैं और क्या नहीं. इसके साथ ही निर्देश का उल्लंघन करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी.

शिक्षा पदाधिकारियों को लिखे पत्र में शिक्षा विभाग के डायरेक्टर सह अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने कहा है कि कि उन्हें ऐसी जानकारी लगातार मिल रही है कि स्कूलों में शिक्षक और कर्मचारी कैजुअल ड्रेस में आ रहे हैं. जो की सरकार की तरफ से जारी किए गए ड्रेस कोड में शामिल नहीं है. ऐसे में यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.शिक्षा विभाग के अपर सचिव द्वारा जारी किए गए आदेश में साफ कह दिया है कि स्कूलों में शिक्षक टी-शर्ट और जींस में नहीं आएंगे, बल्कि फॉर्मल ड्रेस में स्कूल आएंगे. इसके साथ ही निर्देश का उल्लंघन करने वाले शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी. आदेश में कहा गया है कि शिक्षक और कर्मचारी को इससे पहले भी निर्देश दिए गए थे.

अब स्कूल में नहीं बना सकेंगे रील

शिक्षा विभाग के डायरेक्टर सह अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने अपने पत्र में स्कूल में शिक्षकों के द्वारा रील बनाने और मोबाईल के अधिक उपयोग को लेकर भी बात कहीं गई है। आदेश में कहा गया है अगर शिक्षक इन नियमों का पालन नहीं करेंगे तो उनके खिलाफ सख्त कार्रावई की जाएगी. हालांकि, शिक्षा विभाग ने ये स्पष्ट कर दिया कि सिर्फ शिक्षा कैलेंडर के मुताबिक, विशेष दिनों में ही डांस म्यूजिक आदि का डिसिप्लिन और शालीन तरीके से किया गया कार्यक्रम ही मान्य होगा।

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