Trishul Mountain उत्तराखंड के चमोली में 23490 फीट की ऊंचाई पर हिमालय की तीन चोटियों से बना है त्रिशूल पर्वत क्या आप जानते है ये नाम कैसे पड़ा अगर नहीं तो हम बताते हैं। तीन शिखरों के कारण ही इस पर्वत का नाम भगवान शिव के अस्त्र त्रिशूल पर दिया गया है। त्रिशूल पर्वत के नीचे एक बेहद खूबसूरत और रहस्यमयी जलाशय, रूपकुंड झील भी है। इस झील को मनुष्यों और घोड़ों के लगभग 600 कंकाल पाए जाने के कारण भी जाना जाता है। यह पर्वत कौसानी और बेदिनी बुग्याल से भी दिखाई देता है।यह जगह भारत-तिब्बती सीमा पुलिस बल के जवानों के लिए ट्रेनिंग का मैदान भी है।
हिमालय की तीन चोटियों का समूह है त्रिशूल पर्वत Trishul Mountain
इस पर्वत पर जाना तो हर किसी के बस की बात नहीं है, इसलिए इस पर्वत की चोटी के मनोरम नज़ारे को देखने के लिए कौसानी जा सकते हैं। वहां त्रिशूल पर्वत के अद्भुत नज़ारे को देखने के लिए व्यू पॉइंट बने हुए हैं। सर्दियों में बर्फबारी के चलते पर्यटकों को यहां पर गर्मी के मौसम में आने का सुझाव दिया जाता है।
हालांकि जो स्कीइंग में रुचि रखते हैं, वह दिसंबर से फरवरी महीने के बीच यहां आ सकते हैं। त्रिशूल पर्वत का पहला शिखर 7,120 मीटर दूसरा 6,690 मीटर और तीसरा 6,007 मीटर ऊंचा है। टूरिस्टों और ट्रेकिंग करने वालों को यहाँ बर्फ से ढका नज़ारा बेहद लुभाता है।
अब आपको आगे की जानकारी देते हैं। त्रिशूल पर्वत को सबसे पहले 1907 में ब्रिटिश पर्वतारोहियों ने फतह किया था। हालांकि इससे पहले भी कई पर्वतारोहियों ने प्रयास किया था, लेकिन कोई भी पर्वतारोही इसके शिखर पर नहीं चढ़ता था। इसका कारण यह था कि वह इस पर्वत को पवित्र मानते थे।
इसके बाद 1987 में पर्वतारोहियों ने एक साथ तीनों चोटियों के रिज को पार किया था। खास बात यह है कि इस दौरान दो पर्वतारोहियों ने इसके शिखर से पैरा लैंडिंग भी की थी। ऐसे ही अनोखे डेस्टिनेशन की वजह से उत्तराखंड को देवभूमि और रोमांचक ट्रेवेल की धरती माना जाता है।