UCC Law: अनमैरिड नॉन-बाइनरी युगल उत्तराखंड समान नागरिक संहिता अधिनियम, 2024 को चुनौती दे रहा है. जहां इस मामले में पहले अपने सख्त टिप्पणी के बाद कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सरकार से कहा कि क्या कानून में बदलाव किया जा सकता है.उत्तराखंड में यूसीसी कानून लागू हो गया है. इसके तहत सरकार का उद्देशय इन नियमों के पहलुओं को कंट्रोल करने वाले अलग-अलग पर्सनल लॉ को कोडिफाई करना है. अब ऐसे में एक नॉन बाइनरी कपल सरकार को चुनौती दे रहा है. जहां याचिकाकर्ता और क्रिटिक्स का कहना है कि लिव इन रिलेशनशिप को रजिस्टर करना प्राइवेसी का उल्लंघन है. साथ ही, इसके कारण वीक कपल बेवजह की छानबीन के दायरे में आते हैं.
यह कपल मीडिया स्टडीज के रिसर्चर्स हैं. दोनों एक ही जाति और धर्म से ताल्लुक रखते हैं. साथ ही, इनके सामने इंटर कास्ट कपल जैसी परेशानियां नहीं हैं. हालांकि, उनके रिश्ते में अपनी तरह की चुनौतियां भी थीं, जैसे कि रिश्ते के बारे में दखल देने वाले सवाल और ताने. यहां तक कि शादी से इनकार करने पर परिवार के सदस्यों की धमकियां. इतना ही नहीं, इनके साथ-साथ यह डर कि कानून उनकी परेशानियों को और बढ़ा सकता है.
UCC Law: क्या है मामला?
लड़का उत्तराखंड से है जबकि लड़की दिल्ली की रहने वाली है. दोनों ने एक-साथ अंबेडकर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की. साल 2021 में लड़के के पेरेंट्स की डेथ हो गई थी. दोनों ने कॉलेज में अलग होने के 1.5 साल बाद साल 2022 में डेटिंग शुरू की. लड़के ने देहरादून में अपनी नौकरी छोड़ दी थी. इसके बाद दोनों एक फ्लैट में साथ रहने लगे. एक साल बाद लड़की पर लड़के के दोस्त ने हमला किया, जिसके कारण उसकी छाती और पीठ पर जख्म हो गया. इलाज में काफी खर्चा आया. ऐसे में दोनों ने लड़के के हल्द्वानी वाले घर में रहने का फैसला लिया. लड़के के माता-पिता के मरने के बाद से घर खाली पड़ा था, और उसके दोनों भाई-बहन बाहर रहते थे. लेकिन जल्द ही चीजें बिगड़ने लगीं. सितंबर 2024 में लड़के के भाई ने लड़की को मारने की धमकी दी. ऐसे में दोनों ने घर छोड़ने का फैसला लिया
कपल ने की पीआईएल फाइल
इस दौरान यूसीसी के नियमों की डिटेल्स सामने आने लगी थी, जिसके कारण महिला अधिकार संगठनों जैसे सामाजिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था. ऐसे में कपल ने सामाजिक और राजनीतिक संगठनों से बात करने की सोची. इसके बाद दिसंबर के सीनियर एडवोकेट वृंदा ग्रोवर ने नैनीताल में एक मीटिंग के दौरान कपल को मज़ाक में यह कहते हुए सुना कि वह अदालत में याचिका दायर करेंगे. इस पर वृंदा ने कपल से कॉन्टैक्ट किया और फिर पीआईएल फाइल की. अपनी याचिका दायर करने के बाद कपल को दक्षिणपंथी संगठनों से संभावित हमले का डर सताने लगा. यह डर तब और बढ़ गया जब उनके एक वकील ने उनसे अपने फैसले पर पुनर्विचार करने को कहा.
UCC Law: अदालत ने क्या कहा?
28 फरवरी को अदालत में उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तराखंड हाई कोर्ट ने कहा कि जो लोग कानून के तहत सताए गए महसूस करते हैं. वे अदालत का दरवाजा खटखटाने के लिए आजाद हैं. साथ ही, राज्य से यह भी पूछा कि क्या वह कानून में बदलाव पर विचार कर सकता है. यह लाइन उस लाइन से काफी अलग थी, जिसमें अदालत ने एक कपल से 10 दिन पहले कहा था कि ‘आप बिना शादी के बेशर्मी से साथ रह रहे हैं. किस निजता का हनन हो रहा है?’ नॉन-बाइनरी का मतलब होता है, वो व्यक्ति जो अपनी जेंडर पहचान को सिर्फ मर्द (मेल) या औरत (फीमेल) के रूप में नहीं देखते हैं. यानी, नॉन-बाइनरी लोग उन दोनों में से किसी एक जेंडर को नहीं अपनाते, या फिर उन्हें लगता है कि उनका जेंडर इन दोनों से अलग या बीच में हो सकता है.