Uniform Civil Code उत्तराखंड में पुष्कर सिंह धामी भले ही केंद्रीय नेतृत्व और राज्य की प्रचंड बहुमत की ताकत के साथ एक लोकप्रिय मुख्यमंत्री की शपथ ले चुके हैं लेकिन सच्चाई तो यह है शपथ के साथ ही कई असंतुष्ट नेताओं ने भी अघोषित रूप से शपथ ले ली है मौजूदा सरकार की राह में कांटे बोने की……

Uniform Civil Code वर्ष 1989, 2014, 2019 में भाजपा घोषणा पत्र में लाई थी
- Uniform Civil Code दरअसल जिस तरह से मुख्यमंत्री के चयन में केंद्र से लेकर देहरादून तक 10 दिन से ज्यादा का समय लगा और आलाकमान ने फूंक फूंक कर कदम रखते हुए बड़े गुपचुप तरीके से अलग-अलग नेताओं से बात की , उनके प्रोफाइल को टटोला और अवश्यंभावी भविष्य के तनाव को महसूस किया है। उन्हें महसूस हो चुका है कि 70 विधानसभा की इस छोटी सी सियासत में षड्यंत्र और ड्रामेबाजी कूट-कूट कर भरी है।

- Uniform Civil Code अब तक के राजनैतिक इतिहास को टटोलें तो उत्तराखंड में कोई भी मुख्यमंत्री बगैर षड्यंत्र और साजिशों के पहाड़ का राजपाट नहीं संभाल पाया है। एक्सपर्ट और पुरानी पीढ़ी के लोग बताते हैं कि स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के शासनकाल में भी बड़े-बड़े दिग्गजों ने दिलचस्प और पार्टी को नुकसान पहुंचाने वाली साजिशें रची और एक चुनी हुई सरकार को हमेशा अस्थिर करने के लिए फ्रंट फुट पर हावी होते नजर आ चुके हैं।
- Uniform Civil Code भला कौन भूल सकता है रमेश पोखरियाल निशंक और भुवन चंद खंडूरी का वह शासनकाल जब प्रदेश भी तात्कालीन उठापटक से हैरान हो गया था। इस छोटे से नए नवेले राज्य में मुख्यमंत्रियों की अदला बदली और उनका शॉर्ट टर्म कार्यकाल कहीं परम्परागत रस्में निभाता हुआ फिर न दोहराया जाए ये आशंका हमेशा बनी रहती है।

- Uniform Civil Code आज पांचवीं विधानसभा के 12 वें मुख्यमंत्री के तौर पर करिश्माई इंट्री लेने वाले पुष्कर सिंह धामी एक चुनी हुई प्रचंड बहुमत की सरकार के मुखिया बने तब भी उनके सामने अतीत की काली सच्चाई एक बुरे सपने की तरह ही खड़ा है जहां उन्हें अपनों की साजिशों के साथ-साथ विपक्ष के तीखे हमलों को भी सहना है और जनता से किए वादों को भी जल्द से जल्द पूरा करना है….

- क्योंकि खुद सीएम धामी खटीमा से चुनाव हार चुके हैं लिहाजा 6 महीने के भीतर उन्हें अपनी छवि , सरकार के कामकाज और नेतृत्व क्षमता के बलबूते उपचुनाव को जितना भी है लिहाजा एक तरफ से मुख्यमंत्री धामी T20 की बैटिंग के बाद अब पूर्णकालीन शासन में बने रहने के लिए टेस्ट मैच को भी ताबड़तोड़ पारी के साथ आगे बढ़ाना चाहेंगे
- वही उन्हीं के खेमे में मौजूद कुछ देखें कुछ अनदेखे नाराज़ , असंतुष्ट मौका तलाश रहे महत्वाकांक्षी नेताओं से भी सावधान रहते हुए सलीके से निपटना है यह एक बड़ी चुनौती है और अगर इसमें सीएम धामी कहीं भी कमजोर पड़ते हैं या उनके कोर टीम के विश्वासपात्र इस गर्म हवा को समझ पाने में नाकाम होते हैं तो वक़्त कहीं ना कहीं इतिहास फिर दोहराये जाने की पटकथा लिखता नज़र आएगा।

- दरअसल 2022 के नतीजे आने के बाद से प्रदेश में यह कयास लगाए जा रहे थे कि इस बार मुख्यमंत्री का नाम या तो सिर्फ पुष्कर सिंह धामी होगा या कोई अप्रत्याशित चेहरा पहाड़ को मिलेगा। अप्रत्याशित नामों में वही नाम शामिल थे जो बीते कुछ सालों से दिल्ली दरबार में तैर रहे थे , इनमें सबसे आगे राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी , हैवीवेट कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज , केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट और संगठन से जुड़े कुछ बड़े नाम शामिल रहे है। जिनके लिए अगले पांच साल का इंतज़ार उनके राजनैतिक सफर के लिए दूभर हो सकता है।
- पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक भी खुद को कभी भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार से बाहर नहीं मानते हैं , लिहाजा इस बार भी मुख्यमंत्री चयन में उनकी भूमिका केंद्र में रही। लिहाजा देहरादून में बैठे लोगों को लग रहा था अपना चुनाव हार चुके पुष्कर सिंह धामी पर शायद संशय हो और ऐसे में निशंक , बलूनी , भट्ट जैसे बड़े नामों पर केंद्र मोहर लगा दे।

- अब बात करते हैं अनदेखे से कुछ ऐसे माननीयों की जो नतीजों के बाद सुर्ख़ियों में बने रहे। कुछ ऐसे विधायक हैं रायपुर से विधायक उमेश शर्मा काऊ , विकास नगर से जीत कर आने वाले अनुभवी और पार्टी के भरोसेमंद चेहरे मुन्ना सिंह चौहान , पूर्व मंत्री खजान दास , सहसपुर से कांटे का मुकाबला जीतने वाले सहदेव पुंडीर देहरादून की धर्मपुर विधानसभा से दूसरी बार जीतने वाले विनोद चमोली और पार्टी बदल कर भाजपा ज्वाइन करने वाले दो नाम किशोर उपाध्याय और सरिता आर्या का , जिन्हे उम्मीद थी कि इस मुश्किल चुनाव में जीत हासिल करने से उन्हें कैबिनेट में जगह मिल जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ , बिशन सिंह चुफाल का प्रकरण भी सबके सामने आया और मीडिया में आए बयानों से साफ है कि चुफाल और धामी के बीच स्थिति थोड़ी असहज है

- Uniform Civil Code तो क्या 2022 में धामी सरकार की जो कहानी महाराष्ट्र राजभवन में तैयार हुई दिल्ली दरबार में पास हुयी और उत्तराखंड भाजपा मुख्यालय में जारी हुई क्या वो सुपरहिट होगी ? सवाल और जवाब खत्म होते हैं और शुरू होता है धामी सरकार का कार्यकाल , इसके साथ ही शुरू होता है साजिशों का परम्परागत दौर जिसमें मौजूदा सीएम को अपनी काबिलियत , गुप्तचरो की उपयोगिता और केंद्र से मिल रहे भरोसे को कायम रखना होगा…
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