Unique Wedding Rituals : अग्नि नहीं पानी का फेरा लेकर पूरा गाँव लेता है सात फेरे

Unique Wedding Rituals देश के अलग-अलग हिस्सों में शादी के लिए कई तरह की परंपराओं का पालन किया जाता है। आमतौर पर शादियों में अग्नि को साक्षी मानकर रस्में पूरी की जाती है, लेकिन भारत में ऐसी भी कई जनजातियां है जहां लोग पानी को साक्षी मानकर शादी की रस्‍में पूरी करते हैं। ये परंपरा छत्‍तीसगढ़ के बस्‍तर में काफी प्रचलित और ये लंबे समय से चली आ रही है। छत्‍तीसगढ़ के बस्‍तर में धुरवा समाज शादी में सभी शुभ कार्यों में अग्नि की बजाए पानी को साक्षी मानकर रस्‍में पूरी करता है। बताया जाता है कि ये समाज पानी को अपनी माता मानता है। आईए जानते है –

 

शादी में अग्नि की जगह पानी को साक्षी मानकर फेरे Unique Wedding Rituals

Unique Wedding Rituals

बता दें कि धुरवा समाज की पुरानी पीढ़ी कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के पास रहती थी। इसलिए लगातार कांकेर नदी के पानी को ही साक्षी मानकर शुभ कार्य करती थी। आज भी कांकेर नदी से पानी लाकर शादी की रस्‍में पूरी की जाती हैं। ऐसा कहा जाता है कि यहां के लोगों ने शादियों में होने वाले फिजूलखर्च पर रोक लगाने के लिए ये परंपरा शुरू की थी। इसके अलावा बस्‍तर के आदविासी समाज में जब शादी होती है तो सिर्फ दूल्हा-दुल्हन ही नहीं, बल्कि पूरे गांव के लोग फेरे लेते हैं।

हिंदू धर्म के अनुसार फेरों के दौरान जोड़ा अग्नि को साक्षी मानकर शादी करता है, लेकिन राज्य छत्तीसगढ़ का बस्तर जिले इस मामले में थोड़ा अलग है. यहां सालों से आदिवासी समाज द्वारा एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है. इनकी शादी औरों से थोड़ी अलग होती है. इस समाज की शादियों में अग्नि की जगह जल को साक्षी मानकर फेरे लिए जाते हैं. दरअसल ये जल, जंगल और जमीन की पूजा करते हैं. इस समाज ने शादी में होने वाले फिजूलखर्च को देखते हुए ये परंपरा शुरू की थी.

क्यों मानते हैं पानी को साक्षी ?


दरअसल में छत्तीसगढ़ के धुरवा समाज में पानी को काफी महत्तवपूर्ण माना जाता है. ये पानी को भगवान के समान पूजते हैं और इसे अपनी मां मानते हैं. धुरवा समाज सिर्फ शादी में ही नहीं बल्कि अपने सभी शुभ कार्यों में पानी को साक्षी मानकर रस्मों को पूरा करते हैं. धुरवा समाज की पुरानी पीढ़ी कांकेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के पास रहती थी. ये कांकेर नदी के पानी को साक्षी मानकर सबी कार्य करती थी. आज भी यहां से पानी लाकर जोड़े पर छिड़का जाता है.आपने शादियों में देखा होगा की पति पत्नी अग्नि के फेरे लेकर हमेशा के लिए एक दूसरे के हो जाते हैं, लेकिन यहां ऐसा नहीं होता है. यहां जोड़े के साथ पूरा गांव भी पानी के फेरे लेता है. इस दौरान नाले, तालाब, नदी, सेमल के पेड़ और कुएं के पानी का इस्तेमाल किया जाता है.

भाई बहन की होती है शादी-

समाज में भाई बहन के रिश्ते को बहुत पवित्र माना जाता है. ऐसे में भाई बहन की शादी की बात सुनकर ही कान खड़े हो जाते हैं, लेकिन धुरवा समाज भी इस मामले में धोड़ा अलग है. यहां भाई बहन की शादी कराई जाती है. हालांकि एक ही माता-पिता के बच्चों की आपस में यहां शादी नहीं होती. जैसे बहन की बेटी मामा के बेटे से विवाह कर सकती है.

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