Urination Habits : महिलाओं की पेशाब रोकने की आदत है बड़ी भूल !

Urination Habits पेशाब रोकने की क्षमता व्यक्ति के उम्र पर निर्भर करती है। एक व्यस्क व्यक्ति का ब्लेडर 2 कप तक यूरिन रोके रख सकता है। जबकि बच्चों मे पेशाब स्टोर करने की क्षमता इसकी आधी होती है। यही कारण है कि बच्चे बार-बार टायलेट करते हैं।

पेशाब रोकना नेच्यूरल कॉल होता है। और जब आप इसमें बाधा उत्पन्न करने की कोशिश करते हैं तो कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एक या दो बार पेशाब रोकना ठीक है, लेकिन जब हम इसे नियमित रूप से करते हैं तो इससे कई संरचनात्मक और कार्यात्मक असामान्यताएं हो सकती हैं।

 

महिलाओं में ज्यादा देखी जाती है ये समस्या Urination Habits

 

Urination Habits

ब्लैडर में क्षमता से ज्यादा पेशाब रोकने पर इसमें इंफेक्शन हो सकता है। दरअसल, पेशाब में शरीर के कई व्यर्थ बैक्टीरिया होते हैं। जब इसे समय से निकाला नहीं जाता तो इनकी मात्रा बढ़ जाती है और इंफेक्शन हो जाता है। जिसके कारण पेशाब की दौरान दर्द की समस्या शुरू हो जाती है। इसके मामले ज्यादातर औरतों में देखने के लिए मिलते हैं क्योंकि कई वजहों के कारण वह पेशाब की इच्छा को दबा देती है।


बार-बार पेशाब रोकने की आदत किडनी में पथरी होने की समस्या को बढ़ावा दे सकती है। इसके अलावा आहार, शरीर का अधिक वजन, चिकित्सीय स्थितियां, और दवाएं भी गुर्दे मे पथरी बनने का कारण बन सकते हैं।

पेशाब को रोके रहने से मुत्राशय की दिवारे कमजोर होने लगती है। यह स्थिति लंबे समय तक बने रहने से ब्लैडर डैमेज होने का खतरा बना रहता है। यह पेशाब के लीकेज का कारण भी बन सकता है। इसके अलावा लंबे समय तक पेशाब रोकने से मूत्राशय और प्राइवेट पार्ट में दर्द की शिकायत हो सकती है।

यूँ तो कहने को ये छोटी सी बात मान सकते हैं क्योंकि ये काम हम और आप कभी न कभी हालात से मज़बूरन कर ही देते हैं। लेकिन यही मामूली सी लापरवाही हमको बड़े संकट में भी डाल सकती है। ज्यादातर लोगों को किसी न किसी चीज से डर लगता है, जिसे फोबिया भी कहते हैं। किसी को ऊंचाई से, तो किसी को पानी में जाने से, या फिर किसी को सांप से डर लगता है। इन सब से अलग कुछ लोगों को टॉयलेट जाने से भी डर लगता है। इसे शाय ब्लैडर सिंड्रोम  कहा जाता है। इन लोगों को अपने घर के अलावा किसी और जगह पर टॉयलेट यूज करने में हिचक महसूस होती है।


इस सिंड्रोम से पीड़ित लोगों को पब्लिक टॉयलेट का इस्तेमाल करने से डर लगता है, खासकर तब जब दूसरे लोग इनके आस-पास होते हैं। शाय ब्लैडर सिंड्रोम वैसे तो महिलाओं में आम है, क्योंकि अधिकतर समय महिलाएं शर्म या गंदे टॉयलेट की वजह से बाथरूम जाने से बचती हैं, लेकिन ये परेशानी पुरुषों और बच्चों में भी देखी जाती है।

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