Uttarakhand Madrasa: सरकार की नाक के नीचे वो मदरसे जो बिना किसी सरकारी दस्तावेज , सूचना या संबद्धता के गली मोहल्ले में चलाये जा रहे हैं उन पर देश भर में कार्यवाही की जाती है देवभूमि उत्तराखंड में धर्म की आड़ में अवैध मदरसे चलाने वालों के खिलाफ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सख्त रुख अपना लिया है। केवल 15 दिनों के भीतर ही 52 से अधिक अवैध रूप से संचालित मदरसों को सील किया जा चुका है। सीएम धामी के निर्देश पर देहरादून के विकासनगर में 12 और खटीमा में 9 अवैध मदरसों को सील कर दिया गया। इससे पहले विभिन्न जिलों में 31 मदरसों पर कार्रवाई हो चुकी है।
उत्तराखण्ड बाल आयोग ने कार्यवाही का स्वागत किया Uttarakhand Madrasa
लंबे समय से उत्तराखंड के पछवादून और अन्य इलाकों में अवैध मदरसों का जाल फैलाया जा रहा था। यहां धर्म की आड़ में जनसंख्या असंतुलन की कोशिशें भी सामने आई थीं। लेकिन अब धर्मरक्षक सीएम धामी ने साफ संदेश दे दिया है कि प्रदेश के मूल स्वरूप से किसी भी कीमत पर खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जो भी कानून तोड़ेगा या अवैध गतिविधियों में शामिल होगा, उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। इस बड़ी कार्रवाई से साफ है कि उत्तराखंड में अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने और कानून का राज स्थापित करने के लिए मुख्यमंत्री धामी का एक्शन लगातार जारी रहेगा। आने वाले समय में भी अवैध मदरसों और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाइयां देखने को मिलेंगी।
उत्तराखण्ड बाल अधिकार संरक्षण आयोग, राज्य सरकार द्वारा बिना आवश्यक स्वीकृति के संचालित अवैध चल रहे मदरसों को बंद करने के कदम का स्वागत करता है। यह निर्णय राज्य की इस प्रतिबद्धता के अनुरूप है कि सभी शैक्षिक संस्थान निर्धारित मानकों और नियमों का पालन करें, विशेष रूप से बच्चों के कल्याण और शैक्षिक अधिकारों की सुरक्षा के मामले में।इस विकास के मद्देनजर, उत्तराखण्ड बाल अधिकार आयोग ने शिक्षा विभाग को निर्देशित किया है, कि उनके द्वारा यह सुनिश्चित किया जाये कि इन अवैध मदरसों(Uttarakhand Madrasa) में वर्तमान में पढ़ाई कर रहे सभी बच्चों को तुरन्त मान्यता प्राप्त और उपयुक्त स्कूलों में शिक्षा प्रदान की जाए। आयोग यह जोर देता है कि बच्चों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत निर्धारित दिशानिर्देशों के अनुसार नजदीकी और उपयुक्त स्कूलों में स्थानांतरित किया जाए। राष्ट्रीय शिक्षा नीति सभी बच्चों के लिए समावेशी, समान और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा पर बल देता है, और आयोग इस प्रक्रिया में इसके कड़े कार्यान्वयन की अपील करता है।
इसके अतिरिक्त, आयोग ने अन्य राज्यों से आकर मदरसा में पढ़ने वाले बच्चों का शीघ्र स्थानांतरण करने का आह्वान किया है, ताकि उनकी शिक्षा में कोई विघ्न न आये। बच्चों को मान्यता प्राप्त स्कूलों में दाखिला दिया जा सकता है, और जहां आवश्यक हो, उनकी सुरक्षा और कल्याण सुनिश्चित करने के लिए सुभाष चन्द्र बोस जैसे छात्रावास वाले विद्यालयों में उनका दाखिला करवाया जा सकता है।