Uttarakhand master plan पहाड़ से मैदान तक एक नियम

उत्तराखंड में अब सभी शहरों के मास्टर प्लान एक जैसे मानकों के अनुसार बनाए जाएंगे। आवास विभाग ने उत्तराखंड एकीकृत परिक्षेत्रीय विनियमन की अधिसूचना जारी कर दी है। अब तक पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में अलग-अलग नियम लागू होते थे, लेकिन नए विनियमों के तहत पूरे प्रदेश के लिए समान मानक तय कर दिए गए हैं। इसका उद्देश्य शहरों का सुव्यवस्थित, सतत और आपदा-प्रतिरोधी विकास सुनिश्चित करना है। प्रमुख सचिव आवास आर. मीनाक्षी सुंदरम द्वारा जारी इन नियमों में पहुंच मार्गों को 15 श्रेणियों में विभाजित किया गया है।

नए विनियमों के अनुसार, मास्टर प्लान में पर्यावरण संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। राजस्व अभिलेख में दर्ज नदियाँ, झीलें, तालाब, नाले और प्राकृतिक जलधाराएँ अब संरक्षण उपयोग क्षेत्र के रूप में अधिसूचित होंगी। इनके आसपास हरित बफर जोन अनिवार्य होगा, जहाँ किसी भी प्रकार का निर्माण पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। नदियों और झीलों से 30 मीटर के भीतर नया निर्माण नहीं हो सकेगा। पर्यावरण संवेदनशील क्षेत्रों की सीमा से 100 मीटर की दूरी तक भी नया निर्माण अनुमन्य नहीं होगा। वन भूमि के उपयोग पर वन विभाग के मानक और नियम लागू होंगे।

सड़क चौड़ाई के मानक भी स्पष्ट

आर-1 (निर्मित/आबादी क्षेत्र) में एकल आवास के लिए मैदान में 7.5 मीटर और पहाड़ में 3 मीटर सड़क अनिवार्य है। सरकारी क्वार्टर और दुकानों जैसे उपयोग के लिए मैदान में 9 मीटर और पहाड़ में 6 मीटर सड़क जरूरी होगी। स्कूल, बैंक, धार्मिक भवन आदि के लिए मैदान में 12 मीटर और पहाड़ में 6 मीटर मार्ग आवश्यक है।

आर-2 (आवासीय क्षेत्र) में एकल आवास के लिए मैदान में 9 मीटर और पहाड़ में 4.5 मीटर मार्ग निर्धारित है। ग्रुप हाउसिंग, सरकारी आवास, बैंक और दुकानों के लिए मैदान में 12 मीटर और पहाड़ में 6 मीटर सड़क अनिवार्य होगी। स्कूल, योग केंद्र और धार्मिक भवनों के लिए मैदान में 15 मीटर और पहाड़ में 7.5 मीटर, जबकि रेस्टोरेंट, नर्सिंग होम और सामुदायिक भवनों के लिए क्रमशः मैदान में 18 मीटर और पहाड़ में 9 मीटर मार्ग जरूरी है।

आर-3 (किफायती आवास क्षेत्र) में किफायती आवास, डेयरी बूथ, प्ले स्कूल, प्राथमिक विद्यालय जैसे उपयोग के लिए मैदान में 12 मीटर और पहाड़ में 6 मीटर सड़क अनिवार्य रखी गई है।

आर-4 (ग्रामीण आबादी एवं विस्तार क्षेत्र) में एकल आवास, दुकान और आंगनबाड़ी केंद्र के लिए मैदान में 7.5 मीटर और पहाड़ में 4.5 मीटर सड़क का प्रावधान है। प्राथमिक विद्यालय, धार्मिक भवन और अन्य सार्वजनिक उपयोगों के लिए मैदान में 9 मीटर और पहाड़ में 6 मीटर मार्ग जरूरी होगा, जबकि कॉलेज या विश्वविद्यालय के लिए मैदान में 18 मीटर और पहाड़ में 9 मीटर सड़क अनिवार्य है।